नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)।
भारतीय पुरुष राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के लिए वर्ष 2025 यादगार से ज्यादा निराशाजनक साबित हुआ। एएफसी एशियन कप क्वालिफायर्स से बाहर होने और फीफा रैंकिंग में लगातार गिरावट के कारण यह साल ‘ब्लू टाइगर्स’ के लिए भूलने वाला रहा।
परिणामों के लिहाज से देखें तो 2025 का प्रदर्शन 2024 की तुलना में थोड़ा बेहतर रहा, जब भारतीय टीम पूरे कैलेंडर वर्ष में एक भी मैच जीतने में नाकाम रही थी। हालांकि, इस साल भी टीम निरंतरता नहीं दिखा सकी।
2025 में भारतीय पुरुष टीम ने एक बार फिर कोच बदला। मनोलो मार्केज़ की जगह खालिद जमील को मुख्य कोच नियुक्त किया गया। कोच के रूप में अपने पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट, सीएएफए नेशंस कप में खालिद जमील के मार्गदर्शन में टीम ने सकारात्मक संकेत दिए। भारत ने उच्च रैंकिंग वाली ताजिकिस्तान टीम को नियमित समय में हराया और ओमान को पेनल्टी शूटआउट में मात दी। इन जीतों के दम पर भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में तीसरा स्थान हासिल किया।
हालांकि, यह लय एशियन कप क्वालिफायर्स में बरकरार नहीं रह सकी। भारत को निचली रैंकिंग वाली सिंगापुर और बांग्लादेश से हार का सामना करना पड़ा, जिसके चलते टीम क्वालिफिकेशन की दौड़ से बाहर हो गई।
इस साल भारत के लिए एक और अहम घटना रही रिकॉर्ड गोलस्कोरर सुनील छेत्री की अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में वापसी। हालांकि, उनकी वापसी भी टीम के प्रदर्शन में कोई बड़ा बदलाव नहीं ला सकी। एशियन कप क्वालिफिकेशन में निराशाजनक नतीजों के बाद, सुनील छेत्री ने नवंबर में एक बार फिर राष्ट्रीय टीम से संन्यास लेने का फैसला किया।
कुल मिलाकर, 2025 भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम के लिए उम्मीदों और निराशाओं से भरा रहा, जहां कुछ सकारात्मक पल जरूर आए, लेकिन बड़े मंच पर टीम अपनी छाप छोड़ने में असफल रही।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे



