हिमाचल प्रदेश में रेजिडेंट डॉक्टर की हड़ताल से चिकित्सा सेवाएं प्रभावित

शिमला, 27 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. राघव निरूला की टर्मिनेशन के विरोध में प्रदेशभर के रेजिडेंट डॉक्टर शनिवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल का सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है और मरीजों को इलाज में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई अस्पतालों में रूटीन सेवाएं प्रभावित हुई हैं, जबकि नियमित ऑपरेशन बंद कर दिए गए हैं।

आईजीएमसी शिमला में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) के बैनर तले डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज परिसर में प्रदर्शन किया और न्याय की मांग को लेकर नारेबाजी की। संगठन का कहना है कि मारपीट के एक मामले में डॉ. राघव निरूला का पक्ष सुने बिना ही सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें सेवा से हटा दिया गया, जो पूरी तरह अन्यायपूर्ण है। आरडीए के अध्यक्ष डॉ. सोहेल शर्मा ने कहा कि एसोसिएशन मांग करती है कि डॉ. राघव की टर्मिनेशन तत्काल रद्द की जाए और अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाए जाएं।

हड़ताल के चलते आईजीएमसी सहित अन्य मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में रूटीन ऑपरेशन बंद कर दिए गए हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि आपातकालीन सेवाएं जारी हैं और इमरजेंसी में ऑपरेशन किए जा रहे हैं। आईजीएमसी शिमला में कुछ असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर ओपीडी में मरीजों को देख रहे हैं, जिससे आंशिक रूप से सेवाएं चल रही हैं। इसके बावजूद मरीजों और उनके परिजनों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है और कई मामलों में इलाज टल रहा है।

रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन (HMOA) और स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स (SAMDCOT) का भी समर्थन मिल गया है। डॉक्टरों की मांग है कि आईजीएमसी परिसर में भीड़ द्वारा डराने-धमकाने और तथाकथित ट्रायल की गंभीर घटना के दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। इसके अलावा डॉ. राघव को जान से मारने की धमकी देने और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर करने के आरोपों में नरेश दस्ता के खिलाफ भी मामला दर्ज करने की मांग की गई है।

इस बीच, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय (DMER) ने हड़ताल के मद्देनज़र सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के लिए सख्त स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किए हैं। आदेशों में कहा गया है कि हड़ताल के दौरान इलाज और पढ़ाई बाधित नहीं होनी चाहिए। आपातकालीन सेवाएं 24 घंटे जारी रहेंगी और इमरजेंसी में ऑपरेशन किए जाएंगे। सरकार ने साफ किया है कि इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और इसके लिए प्राचार्य, विभागाध्यक्ष और कंसल्टेंट डॉक्टर जिम्मेदार होंगे।

आरडीए का दावा है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उनकी मांगों पर सहमति का आश्वासन दिया था, लेकिन ठोस कार्रवाई न होने के कारण डॉक्टर हड़ताल पर जाने को मजबूर हुए हैं। उधर, सरकार का कहना है कि मरीजों का हित सर्वोपरि है और सेवाएं सुचारू रखने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि प्रदेश में रेजिडेंट डॉक्टरों की यह अनिश्चितकालीन हड़ताल आईजीएमसी शिमला में एक मरीज से जुड़े मारपीट के मामले में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर की बर्खास्तगी के विरोध में शुरू हुई है। हड़ताल की घोषणा के बाद सरकार ने सख्त एसओपी जारी कर दी हैं, जिनमें लापरवाही पर कार्रवाई और प्राचार्य व विभागाध्यक्षों की जवाबदेही तय की गई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा