मंचित हुआ डोगरी नाटक ‘गत्ते-च-मानू’, मानवीय संवेदनाओं के पतन पर करारा व्यंग्य

रानी पार्क में मंचित हुआ डोगरी नाटक ‘गत्ते-च-मानू’, मानवीय संवेदनाओं के पतन पर करारा व्यंग्य


जम्मू, 28 दिसंबर । जम्मू के रानी पार्क में रविवार को साप्ताहिक थिएटर सीरीज़ ‘संडे थिएटर’ के अंतर्गत बलवंत ठाकुर का चर्चित डोगरी नाटक ‘गत्ते-च-मानू’ (गड्ढे में आदमी) मंचित किया गया। नाटक का निर्देशन नीरज कांत ने किया। यह प्रस्तुति प्रसिद्ध साहित्यकार कृष्णा चंदर की उर्दू क्लासिक कहानी ‘खड्डा’ पर आधारित है, जिसे बलवंत ठाकुर ने बेहद समकालीन और प्रभावशाली अंदाज़ में रूपांतरित किया है। नाटक मानवीय मूल्यों के पतन, सामाजिक संवेदनहीनता और जिम्मेदारियों से पलायन पर तीखा व्यंग्य करता है।

नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है जो गड्ढे में गिर जाता है और मदद के लिए गुहार लगाता है, लेकिन समाज का हर वर्ग किसी न किसी बहाने से उससे मुंह मोड़ लेता है। सर्वे करने वाले, बेरोज़गार नौजवान, धार्मिक नेता, पुलिस, सत्ताधारी नेता और यहां तक कि एक विदेशी भी उससे मिलते हैं, लेकिन कोई भी वास्तविक मदद के लिए आगे नहीं आता। कोई नारेबाज़ी करता है, कोई औपचारिकता निभाता है तो कोई राजनीतिक लाभ तलाशता दिखता है।

कहानी उस समय और भी तीखी हो जाती है जब एक मंत्री इलाके के दौरे पर आता है। लोक निर्माण विभाग गड्ढे में फंसे व्यक्ति को बाहर निकालने के बजाय, उसी गड्ढे पर तख्ते डालकर मंत्री के भाषण का मंच बना देता है। भाषण खत्म होता है, तख्ते हटा दिए जाते हैं, लेकिन गड्ढे में पड़ा आदमी वहीं रह जाता है। अंत में दर्शकों में से ही एक व्यक्ति सभी से अपील करता है कि आज़ादी के 78 साल बाद भी गड्ढे में पड़े इस आम आदमी की मदद की जाए। नाटक गरीब और उपेक्षित वर्ग की पीड़ा को गहराई से उजागर करता है।

इस प्रभावशाली प्रस्तुति में नटरंग के कलाकारों ने सशक्त अभिनय किया। नीरज कांत ने नेता, पवन वर्मा ने गड्ढे में गिरे आदमी, मुहम्मद यासीन ने कर्मचारी-1, कार्तिक कुमार ने कर्मचारी-2 और आशिक-2, आदेश धर ने आशिक-1 और कैमरामैन, कननप्रीत कौर ने रिपोर्टर, शिवम सिंह ने पुलिसवाले तथा मीनाक्षी भगत ने विदेशी महिला की भूमिका निभाई। दर्शकों ने नाटक को खूब सराहा और इसे आज के सामाजिक यथार्थ से जुड़ा हुआ बताया।