पर्वतीय पारस्थितिकी और वैज्ञानिक प्रबंधन पर हुई चर्चा

पौड़ी गढ़वाल, 10 दिसंबर (हि.स.)। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के सहयोग से बीजीआर कैंपस के वनस्पति विभाग में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पर्वतीय पारस्थितिकी, जैव विविधता, ग्लेशियरों की बदलती स्थिति और उनके वैज्ञानिक प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम में जल संसाधन प्रबंधन, पर्वतीय वन संरक्षण, ग्लेशियर निगरानी, जोखिम आकलन और समुदाय आधारित संरक्षण रणनीतियों पर कई सत्र आयोजित किए गए। छात्रों और शोधार्थियों ने पोस्टर प्रस्तुति, संवाद सत्र और फील्ड गतिविधियों में सक्रिय भाग लिया।

परिसर में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत में परिसर निदेशक प्रो.यूसी गैरोला ने युवाओं की भूमिका पर जोर दिया। कहा कि जैव विविधता संरक्षण और पर्वतीय पारस्थितिकी को सुरक्षित रखने में युवा पीढ़ी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। उन्होंने छात्रों को स्वैच्छिक सेवाओं, पर्यावरण संरक्षण अभियानों और समुदाय आधारित कार्यक्रमों में सक्रिय भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डा. विक्रम नेगी ने पर्वतों के वैश्विक महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि पर्वत दुनिया की आधी से अधिक आबादी को जल उपलब्ध कराते हैं और बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियरों का तीव्र पिघलना हिमालयी क्षेत्रों में जल संसाधनों और प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को बढ़ा रहा है। कहा कि पर्वत और ग्लेशियर वैश्विक जल सुरक्षा और जैव विविधता की अनमोल धरोहर हैं। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक शोध, युवा सहभागिता और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रो प्रभाकर बड़ोनी ने ग्लेशियरों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।

बताया कि ग्लेशियर ताजे जल के प्रमुख प्राकृतिक स्रोत हैं और ये नदियों को स्थिर प्रवाह प्रदान करते हैं। यह जल कृषि, सिंचाई और लाखों लोगों की आजीविका के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ग्लेशियरों का तेजी से सिकुड़ना भवष्यि के जल संकट और पर्वतीय समुदायों के सामाजिक आर्थिक ढांचे पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिक प्रभारी डा.केसी सेकर ने पर्वतीय जैव विविधता और पारस्थितिकी तंत्र की संवेदनशीलता पर प्रकाश डाला। इस मौके पर डा. यशवंत राणा, डा. प्रदीप भंडारी, डा. अमन कुमार, विनय कुमार, राहुल उप्रेती, चंद्रप्रकाश आदि शामिल रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / कर्ण सिंह