पतंगप्रेमी अपने शौक को स्वदेशी मांझा से पूरा करें : डॉ प्रियंका तिवारी

—जागरूकता अभियान में प्रतिबंधित चाइनीज मांझा पर सख्त रोक की मांग

वाराणसी, 24 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी काशी (वाराणसी) में तमाम प्रशासनिक प्रतिबंधों और लगातार चल रहे जागरूकता अभियानों के बावजूद पतंगबाजी में प्रतिबंधित कातिल चाइनीज मांझा का उपयोग थमने का नाम नहीं ले रहा है। खासकर बच्चे और युवा वर्ग चोरी-छिपे बिक रहे इस खतरनाक मांझे का प्रयोग कर रहे हैं, जो मानव जीवन के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए भी गंभीर खतरा बना हुआ है।

इसी को लेकर बुधवार को मछोदरी स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर के महंत संत स्वामी प्रेम स्वरूप दास के आह्वान पर सामाजिक संस्था सुबह-ए-बनारस क्लब द्वारा एक जागरूकता अभियान चलाया गया। मैदागिन स्थित श्री हरिश्चंद्र बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज परिसर में छात्राओं और संस्था के सदस्यों ने हाथों में बैनर और पतंग लेकर लोगों से चाइनीज मांझा का प्रयोग न करने की अपील की। कार्यक्रम में कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ. प्रियंका तिवारी, नगर के निजी अस्पताल के चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार राय और संस्था के सदस्य मुकेश जायसवाल ने मांझे के बढ़ते इस्तेमाल पर गहरी चिंता व्यक्त की।

डॉ. प्रियंका तिवारी ने कहा कि पतंग उड़ाना हमारी संस्कृति का पुराना और आनंददायक हिस्सा रहा है, लेकिन जब यही शौक जानलेवा बन जाए और उसके कारण इंसान ही नहीं बल्कि बेजुबान पशु-पक्षी भी अपनी जान गंवाने लगें, तो यह गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन समय-समय पर इस पर कार्रवाई करता रहा है, लेकिन समाज की सहभागिता के बिना यह समस्या समाप्त नहीं हो सकती। उन्होंने पतंग प्रेमियों से अपील की कि जनहित और मानवता को ध्यान में रखते हुए विदेशी चाइनीज मांझे का पूरी तरह परित्याग करें और अपने शौक को स्वदेशी व सुरक्षित मांझे से पूरा करें।

अन्य वक्ताओं ने कहा कि न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बावजूद प्रतिबंधित मांझा धड़ल्ले से बिक रहा है, जिससे सालभर इंसानों और पशु-पक्षियों पर खतरा मंडराता रहता है। अब तक कई घटनाओं में मासूम बच्चों, युवकों और वृद्धों की जान जा चुकी है, जबकि घायलों की संख्या अनगिनत है। ऐसे में जनहित में इस पर सख्त रोक लगाना नितांत आवश्यक है। जागरूकता अभियान में विद्यालय की शिक्षिकाओं, कर्मचारियों और छात्राओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और समाज को सुरक्षित पतंगबाजी का संदेश दिया।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी