राज्य के पूर्व मंत्री उपेन किस्कू का निधन, आदिवासी अधिकार आंदोलन के थे प्रमुख चेहरे
- Admin Admin
- Dec 25, 2025
कोलकाता, 25 दिसंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की राजनीति में आदिवासी अधिकारों की मजबूत आवाज रहे राज्य के पूर्व मंत्री उपेन किस्कू का बुधवार रात निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। बांकुड़ा के एक नर्सिंगहोम में उन्होंने अंतिम सांस ली। गुरुवार को उनका पार्थिव शरीर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के बांकुड़ा जिला कार्यालय लाया गया, जहां पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
उपेन किस्कू का राजनीतिक सफर 70 के दशक में जंगलमहल क्षेत्र से शुरू हुआ। उस समय आदिवासियों की जीवन और आजीविका से जुड़े मुद्दों को लेकर बड़े आंदोलन हुए। केंदु पत्ता संग्रह और बिक्री का उचित मूल्य, बीड़ी उद्योग से जुड़े श्रमिकों के अधिकार और उनकी आर्थिक सुरक्षा को लेकर चले आंदोलनों में उपेन किस्कू अग्रिम पंक्ति में थे। केंदु पत्ता आंदोलन के प्रमुख चेहरों में उनकी गिनती होती थी। इसी आंदोलन से उनके राजनीतिक जीवन की नींव पड़ी।
पेशे से प्राथमिक शिक्षक रहे उपेन किस्कू बाद में बांकुड़ा जिले में वामपंथी राजनीति का बड़ा नाम बने। 1977 में पहली बार वह राइपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। इसके बाद लगातार आठ बार उन्होंने इसी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2011 में राज्य में राजनीतिक बदलाव के बावजूद उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को बड़े अंतर से हराकर जीत दर्ज की।
1982 से 2006 तक वह राज्य सरकार में अनग्रसर वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री रहे। पार्टी के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी। आदिवासी अधिकार मंच के गठन में भी उनकी अहम भूमिका रही। उनके प्रयासों से जंगलमहल के जिलों में गांव-गांव सरकारी स्कूल और आदिवासी सहकारी संस्थाएं स्थापित हुईं।
2016 के बाद वह सक्रिय संसदीय राजनीति में नहीं रहे, लेकिन पार्टी से उनका जुड़ाव अंत तक बना रहा। वह नियमित रूप से राइपुर स्थित पार्टी कार्यालय आते जाते थे और संगठनात्मक गतिविधियों में शामिल रहते थे।
परिवार के अनुसार, कुछ दिन पहले घर में गिरने से उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी, जिसके बाद मस्तिष्क में रक्तस्राव शुरू हो गया। परिजन उन्हें बांकुड़ा के एक नर्सिंगहोम में भर्ती कराए थे, जहां बुधवार रात उनका निधन हो गया। उपेन किस्कू के निधन से जंगलमहल और वामपंथी राजनीति में एक युग के अंत के रूप में देखा जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर



