विवेक अग्रवाल ने आईसीएच के 20वें सत्र के समापन पर सांस्कृतिक विरासत को संकट में समुदायों के लिए जीवन रेखा बताया
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- Dec 12, 2025

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (हि.स.)। संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने शुक्रवार को यहां कहा कि बदलते दौर में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) समुदायों को एकजुट रखती है, परंपराओं को जीवित रखती है और वैश्विक दबावों के बीच उनका सहारा बनती है।
सचिव ने यह बात दिल्ली स्थित लाल किला में यूनेस्को की आईसीएच संरक्षण अंतर सरकारी समिति के 20वें सत्र के समापन पर कही।
इस प्रतिष्ठित वैश्विक सम्मेलन की मेजबानी भारत ने की, जिसने देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसके संरक्षण के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
अग्रवाल ने कहा कि पिछले दिनों की चर्चाओं और संवादों ने प्रतिनिधियों को न केवल सम्मेलन की कार्यप्रणाली से परिचित कराया बल्कि उन्हें भारत की सांस्कृतिक समृद्धि, समावेशिता और विविध परंपराओं का प्रत्यक्ष अनुभव करने का अवसर भी प्रदान किया। उन्होंने भारत के दीर्घकालिक सभ्यतागत दृष्टिकोण पर जोर दिया, जिसके तहत संस्कृति को एक सामूहिक विरासत के रूप में देखा जाता है।
इस वर्ष के समिति सत्र का एक प्रमुख आकर्षण दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया जाना था।
अग्रवाल ने इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि दीपावली, जिसे भारत और विदेशों में व्यापक रूप से मनाया जाता है, प्रकाश, आशा और नवीनीकरण का प्रतीक है। इसका सूची में शामिल होना भारत की जीवंत परंपराओं की वैश्विक मान्यता को और मजबूत करता है। उन्होंने उन सभी सदस्य देशों को बधाई दी जिनके तत्वों को इस सत्र के दौरान शामिल करने के लिए मंजूरी दी गई।
सचिव ने सत्र के दौरान हुई चर्चाओं पर विचार करते हुए, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आईसीएच समुदायों को बनाए रखने, सामाजिक बंधनों को मजबूत करने और परंपराओं की निरंतरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब वैश्वीकरण, संघर्ष और जलवायु संबंधी दबाव विश्व स्तर पर सांस्कृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहे हैं।
अग्रवाल ने बताया कि कई देशों ने बहुराष्ट्रीय अमूर्त विरासत नामांकन में ठोस रुचि व्यक्त की, यह स्वीकार करते हुए कि कई परंपराएं स्वाभाविक रूप से राष्ट्रीय सीमाओं से परे हैं। भारत ने इस सहयोगात्मक भावना का स्वागत किया और आने वाले वर्षों में संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय नामांकन विकसित करने की अपनी तत्परता की पुष्टि की।
अग्रवाल ने सत्र को सार्थक बनाने में सक्रिय भागीदारी के लिए यूनेस्को, महानिदेशक डॉ. खालिद अल-एनानी, यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी. शर्मा, सचिव फुमिको ओहिनाता, सदस्य देशों, मान्यता प्राप्त गैर सरकारी संगठनों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों के प्रति भारत की कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने संगीत नाटक अकादमी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आईएनजीसीए, साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों सहित संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले संस्थानों के प्रयासों को भी सराहा, जिन्होंने इस कार्यक्रम की योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अपने संबोधन के समापन में, सचिव ने सभी सदस्य देशों से वैश्विक सांस्कृतिक एकता की भावना को पोषित करते रहने का आग्रह किया। उन्होंने अथर्ववेद के वचन समानि व: वृणुते हृदयानि (हमारे हृदय एकता का मार्ग चुनें) का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए साझा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और सहयोग को मजबूत करने के लिए तत्पर है।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रद्धा द्विवेदी



