तृणमूल विधायक के हंगामें के बाद निर्वाचन आयोग सख्त, कहा - मतदाता सूची सुनवाई में नहीं हाेगी बूथ एजेंटों की एंट्री

- एसआईआर प्रक्रिया में किसी तरह की राजनीतिक दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं : निर्वाचन आयोग

कोलकाता, 29 दिसंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर)

से जुड़ी दावों और आपत्तियों की सुनवाई को लेकर निर्वाचन आयोग ने साफ कर दिया है कि किसी भी राजनीतिक दल के बूथ स्तरीय एजेंटों को सुनवाई कक्ष में मौजूद रहने की अनुमति नहीं होगी। चुनाव आयोग ने साफ संकेत दिया है कि एसआईआर प्रक्रिया में किसी भी तरह की राजनीतिक दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आयोग का यह रुख उस घटना के बाद सामने आया है, जब सोमवार को हुगली जिले के एक केंद्र पर चुंचुरा विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस विधायक आसीत मजूमदार ने जबरन सुनवाई प्रक्रिया रुकवा दी थी।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल के कार्यालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि यदि सुनवाई के दौरान किसी भी राजनीतिक दल का बूथ स्तरीय एजेंट मौजूद पाया गया, तो संबंधित निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे। इसके साथ ही जिला दंडाधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारियों को भी भविष्य में इस तरह की किसी भी घटना के लिए जवाबदेह ठहराया गया है।

निर्वाचन आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि कहीं सुनवाई को जबरन रोकने की सूचना मिलती है, तो संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी को स्वयं मौके पर पहुंचना होगा। हुगली जिले में सोमवार को इसी तरह की स्थिति देखने को मिली, जहां विधायक आसीत मजूमदार ने यह कहते हुए प्रक्रिया रुकवा दी कि उनकी पार्टी के बूथ स्तरीय एजेंटों को सुनवाई में शामिल होने दिया जाए।

इससे एक दिन पहले तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने वर्चुअल बैठक में पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और बूथ स्तरीय एजेंटों को निर्देश दिया था कि सुनवाई सत्रों में उनकी मौजूदगी अनिवार्य होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि एजेंटों को सुनवाई में शामिल नहीं होने दिया गया, तो पार्टी कानूनी रास्ता अपनाएगी।

हुगली की घटना के बाद विधायक आसीत मजूमदार ने दावा किया कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी के निर्देशों का पालन कर रहे थे। इस पूरे मामले पर नजर रखते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह पहली बार है जब सुनवाई प्रक्रिया को इस तरह रोका गया है, इसलिए आयोग ने पहले से जारी निर्देशों की दोबारा याद दिलाई है।

अधिकारी के मुताबिक यदि आगे भी इस तरह की घटनाएं होती हैं, तो आयोग अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए सुनवाई केंद्रों पर कड़े सुरक्षा इंतजाम लागू कर सकता है। चुनाव आयोग ने साफ संकेत दिया है कि एसआईआर प्रक्रिया में किसी भी तरह की राजनीतिक दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ----------------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर