बांग्लादेशी होने के आरोपों के बावजूद मालदह की पूर्व पंचायत प्रमुख का नाम मतदाता सूची में बरकरार

मालदह, 16 दिसंबर (हि. स.)। बांग्लादेश से भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने और नाम बदलने का आरोप के बावजूद मालदह जिले के हरिश्चंद्रपुर में रसीदाबाद की पूर्व पंचायत प्रमुख लवली खातून का नाम मसौदा मतदाता सूची से नहीं हटा।

लवली का असली नाम नासिया शेख है। आरोप है कि बिना पासपोर्ट के ही अवैध रूप से वह भारत में दाखिल हुईं। फिर अपनी पुरानी पहचान मिटा दी। पिता का नाम भी बदल लिया। 2015 में भारत में उनका वोटर कार्ड जारी हुआ। 2018 में जन्म प्रमाण पत्र जारी हुआ।

मिली जानकारी के अनुसार, दस्तावेजों में नासिया के पिता का नाम शेख मुस्तफा है। लेकिन आरोप है कि लवली के पिता का नाम शेख मुस्तफा नहीं है। असली नाम जमील बिश्वास है। कलकत्ता हाईकोर्ट में मामला भी हुआ। बाद में लवली खातून को पंचायत प्रमुख के पद से हटा दिया गया।

एसआईआर शुरू होने के बाद लवली खातून एन्यूमरेशन फॉर्म भरेंगी या नहीं, इसको लेकर अटकलें लग रही थीं। आरोप लगा कि बीएलओ पर दबाव डालकर एन्यूमरेशन फॉर्म जमा करवाया गया। और मंगलवार को मसौदा सूची जारी होने के बाद देखा गया कि लवली खातून का नाम हटाया नहीं गया है। मालदह जिले में दो लाख से अधिक नाम रद्द हुए हैं। इंग्लिशबाजार में भी करीब 24 हजार नाम हटे हैं। इंग्लिशबाजार और पुरातन मालदा नगरपालिका क्षेत्र में भी कई नाम हटे हैं। यहां तक कि अचानक ही कुछ इलाकों में कई परिवार गायब हो गए।

मंगलवार को मसौदा मतदाता सूची जारी होने के बाद दावा किया जा रहा है कि असली मतदाताओं के नाम भी किसी न किसी गलती से हट गए हैं। और यहीं से सवाल उठ रहा है कि बांग्लादेशी होने के तमाम सबूतों के बावजूद लवली खातून का नाम रद्द क्यों नहीं हुआ?

उस बूथ के बीएलओ मुजिबुर रहमान ने कहा कि उनका (लवली खातून) फॉर्म जमा किया गया था। मेरे बूथ में 34 लोगों के नाम हटे हैं। लवली खातून का नाम नहीं हटा। मैंने सिर्फ फॉर्म लिया था। उन्होंने फॉर्म भरकर जमा किया था। मुझे दस्तावेज सत्यापन का निर्देश नहीं दिया गया था। उन्होंने फॉर्म भरकर जो दिया है, वही लिया है। सबका इसी तरह फॉर्म जमा लिया है। बीएलओ का कहना है कि अब क्या होगा, यह सरकार जानती है।

आयोग का कहना है कि मसौदा मतदाता सूची में नाम न होने पर भी दस्तावेज दिखाकर नाम जुड़वाने के लिए आवेदन किया जा सकता है। वैसे ही मसौदा मतदाता सूची में नाम होने का मतलब यह नहीं कि अंतिम सूची में नाम रहेगा ही। फॉर्म में विसंगति पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति को सुनवाई के लिए बुलाया जा सकता है। उस स्थिति में सुनवाई में सभी दस्तावेजों की जांच की जाएगी। और दस्तावेज सही नहीं होने पर अंतिम मतदाता सूची में नाम नहीं रहेगा। लवली खातून के मामले में क्या होता है, यह अब देखना है।

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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय