मप्र के पेंच टाइगर रिजर्व में खुशखबरी, बाघिन ‘जुगनी’ ने खवासा बफर में पाँच शावकों को दिया जन्म
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- Dec 07, 2025
भोपाल, 07 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले स्थित विश्वविख्यात पेंच टाइगर रिजर्व से एक हर्षित करने वाली खबर सामने आई है। रिजर्व के खवासा बफर क्षेत्र अंतर्गत कोठार बीट में रह रही प्रसिद्ध बाघिन जुगनी ने रविवार को एक साथ पाँच शावकों को जन्म दिया। यह घटना पेंच के वन्यजीव जैव-विविधता के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है और प्रदेश में बाघ संरक्षण प्रयासों की सकारात्मक सफलता का प्रतीक भी है।
रविवार सुबह खवासा बफर में भ्रमण कर रहे कुछ पर्यटकों ने झाड़ियों के बीच बाघिन जुगनी को अपने पाँच नवजात शावकों के साथ देखा। यह दृश्य उनके लिए रोमांचकारी और यादगार अनुभव था। पर्यटकों ने तुरंत इसकी सूचना पार्क प्रबंधन को दी, जिसके बाद विभाग ने क्षेत्र की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्थाएँ बढ़ा दीं।
वन विभाग ने पुष्टि की है कि जुगनी और उसके पाँचों शावक पूरी तरह सुरक्षित हैं। शावकों को फिलहाल उनकी मां के साथ प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया है। विभाग यह सुनिश्चित कर रहा है कि उनके क्षेत्र में किसी प्रकार की मानवीय दखलंदाजी न हो। अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक 6–8 सप्ताह शावकों की सुरक्षा के लिए बेहद संवेदनशील होते हैं। इस दौरान बाघिन संभावित खतरों से बचने के लिए स्थान बदल सकती है और इसी वजह से पार्क प्रबंधन ने निगरानी बढ़ा दी है।
उल्लेखनीय है कि पेंच टाइगर रिजर्व में पर्यटकों द्वारा इस प्रकार प्राकृतिक अवस्था में शावकों को देख पाना बेहद दुर्लभ माना जाता है। आमतौर पर बाघिन प्रसव के बाद कई सप्ताह तक अत्यधिक सतर्क रहती है और शावकों को कोर इलाके में छिपाकर रखती है, इसलिए यह दृश्य पर्यटकों के लिए किसी सौभाग्य से कम नहीं था।
जुगनी लंबे समय से सक्रिय, जंगल में मजबूत उपस्थिति
पार्क प्रबंधन के अनुसार बाघिन जुगनी पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय रही है। उसका परिचालन क्षेत्र खवासा बफर के बड़े हिस्सों में फैला है। वन अधिकारियों का कहना है कि जुगनी का व्यवहार स्थिर रहा है और वह अक्सर शिकार के लिए इस इलाके का सहारा लेती रही है। पाँच शावकों के जन्म से उसकी इस सक्रियता में और भी वृद्धि होने की उम्मीद है, क्योंकि अब वह शावकों के संरक्षण के लिए अधिक सतर्क रहेगी और शिकार का दायरा भी बढ़ा सकती है।
बाघिन जुगनी द्वारा एक साथ पाँच शावकों को जन्म देना पेंच के स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र, पर्याप्त शिकार उपलब्धता और सुरक्षित आवास का संकेत माना जा रहा है। वन प्रबंधन के अधिकारियों ने बताया कि बाघों की बढ़ती संख्या वन संरक्षण प्रयासों की सफलता का प्रमाण है। पेंच टाइगर रिजर्व भारत के उन चुनिंदा वन क्षेत्रों में शामिल है जहाँ पिछले वर्षों में बाघों की संख्या में निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है। यह सफलता पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ ही पर्यटन, स्थानीय अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिहाज से भी फायदेमंद है।
पर्यटकों से विशेष अपील, दूरी बनाए रखें
पेंच प्रबंधन ने पर्यटकों से अपील की है कि वे खवासा बफर क्षेत्र में भ्रमण करते समय अनुशासन का पालन करें। विशेष रूप से बाघिन और शावकों की मौजूदगी वाले मार्गों पर वाहन की गति नियंत्रित रखने, अनावश्यक शोर न करने और निर्धारित दूरी बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। प्रबंधन का कहना है कि बाघिन का प्राकृतिक व्यवहार तभी सुरक्षित रह सकता है जब पर्यटक दूरी और शांति बनाए रखें। किसी भी प्रकार की दखलंदाजी शावकों के लिए खतरा बन सकती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी



