आर्थिक संकट से गुजर रहे प्रदेश को विकसित करने होंगे अपने संसाधन : मुख्यमंत्री

धर्मशाला, 01 दिसंबर (हि.स.)।मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य आर्थिक संकट से गुजर रहा है, ऐसे में अपने संसाधनों को विकसित करना होगा, जोकि पिछले कई सालों से अटकी हुई। उन्होंने कहा कि सदन में टाईम पास करने की बजाय राज्य को आगे ले जाने के निर्णय लेने होंगे। हिमाचल को कर्ज में होने के कारण राज्य पीछे जा रहा है। मुख्यमंत्री ने यह जानकारी नियम-130 के तहत सुदरंगर के विधायक राकेश जंबाल व शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया द्वारा लाए गए प्रस्ताव के दौरान चल रही चर्चा में दी।

प्रदेश में आई आपदाओं से प्रभावितों को आ रही मुशिकलों तथा इस अवधि में सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर चर्चा जारी रही। राजस्व मंत्री जगत सिंह ने कहा कि 2023 में आपदा में सदन विपक्ष के कहने पर बुलाया गया था।

उन्होंने कहा कि 1500 करोड़ रुपए राहत राशि अभी तकआई नहीं है। वहीं इससे पूर्व सुलह के विधायक विपिन सिंह परमार ने कहा कि आज के समय में जी-20 देश भी पर्यावरण व आपदा की चिंता कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की गंभीर महामारी की आपदा में केंद्र व पूर्व सरकार ने बेहतरीन कार्य किया था। विपिन परमार ने कहा सड़कों, कुहलों व अन्य आपदा राहत कार्य सरकार की ओर से सुचारू रूप से नहीं किए जा रहे हैं। विधायक क्षेत्र विकास निधि में भी देरी हो रही है, जिससे कार्य करना अति मुशिकल हो रही है। उन्होंने सरकार से गम्भीरता से आपदा को लेकर कार्य करने की बात रखी। आपदा राहत के लिए पांच-पांच करोड़ व राहत सामग्री भी भेजी गई। 24 हजार 813 राशन किट, कंबल, तिरपाल, वर्तन किट, स्टेशनरी किट व बैग, कपड़े, स्वेटर व अन्य सामग्री भाजपा भी वितरित की गई।

मनाली से कांग्रेस विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने कहा कि राज्य भर सहित उनके विधानसभा क्षेत्र में भी आपदा आई थी। इससे पर्यटन भी बहुत अधिक प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा मुख्य सड़क मार्ग सहित दर्जनों नुकसान हुए थे। सीएम सुक्खू के क्षेत्र का दौरा करने के बाद बड़े स्तर पर आपदा राहत कार्य मे गति आई, और राहत मिल पाई।

जोगेंद्रनगर से भाजपा विधायक प्रकाश राणा ने कहा कि हिमाचल के आर्थिक संकट के बाहर निकलने तक वह मात्र एक रुपए वेतन प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले 2023 व 2025 में काफी क्षेत्रों में नुकसान हुआ है। 4500 हजार करोड़ का राहत पैकेज देने की बात कही थी, जबकि धरातल में उतर नहीं पाया, उसका क्या किया गया। इस पर

उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि राज्य स्थिति छिपी हुई नहीं है। अब एक-दूसरे पर आरोप लगाने का समय चला गया है। अब वेतन, पेंशन, री-पेमेंट व ब्याज भरने में मुशिकल हो रही है। धारा-118 को हिमाचल संरक्षण के लिए थी, जबकि अब ये भ्र्ष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है। उद्योग मंत्री ने कहा कि एक सरकार इंडस्ट्री को मौका देती है, जबकि दूसरी उसे हटाने का प्रयास करती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड अब आगे पहुंच गया है। जबकि राज्य की स्थिति खराब चल रही है, लेकिन अब केंद्र की ओर से भी ग्रांट नियमों के कार्यों के तहत दी जाती है। अब धारा-118 नियम में फैक्ट्री लगाने पर उसे बेचने में भी बड़ा घपला हो रहे हैं। इसमें लचीला बनाने का समय आ गया है। हर्षवर्धन ने कहा कि राजनीति से ऊपर उठकर मिलकर प्रयास करने होंगे।

लाहौल-स्पति की विधायक अनुराधा राणा ने कहा कि उनके क्षेत्र में भी काफी आपदा हुई है। जिससे फसलों व जमीन को बड़ा नुकसान हुआ है। अब राज्य सरकार की ओर से रिलीफ फंड के लिए बड़े बदलाव किए गए है। जबकि केंद्र की ओर से पीडीएनए व अन्य आपदा राहत को जल्द से जल्द जारी किया जाना चाइए। जनजातीय क्षेत्र में ये समस्या और अधिक बनी हुई है, अब छह माह ही सुचारू चल पाते है, जबकि फिर से ठंड व बर्फबारी जिला को जकड़ लेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया