हिमाचल की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए भूमि सुधार अधिनियम में संशोधन बिल पेश
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- Dec 02, 2025
धर्मशाला, 02 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और निजी निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 'हिमाचल प्रदेश काश्तकारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972' की धारा 118 के प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव किया है। यह धारा गैर-कृषकों को भूमि हस्तांतरण को नियंत्रित करती है। इन संशोधनों की मांग करने वाला 'हिमाचल प्रदेश काश्तकारी और भूमि सुधार (संशोधन) बिल, 2025' मंगलवार को शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन हिमाचल विधानसभा में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी द्वारा पेश किया गया।
बिल के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए, दस साल तक की इमारतों के अल्पकालिक पट्टों (शॉर्ट-टर्म लीज) को धारा 118 के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश आवास एवं शहरी विकास प्राधिकरण से भूमि और फ्लैटों की खरीद से संबंधित मौजूदा छूट को बाद के खरीदारों तक भी विस्तारित करने का प्रस्ताव है। निजी रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा विकसित पूर्ण इमारतों या फ्लैटों को खरीदने वाले गैर-कृषकों के लिए भी छूट का प्रस्ताव किया गया है।
बिल में कहा गया है कि, समय के साथ, राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है, और सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए निजी निवेश को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। धारा 118 के मूल उद्देश्य को बनाए रखते हुए, कुछ प्रावधानों के सरलीकरण की आवश्यकता है और वास्तविक निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए नए सक्षम उपायों की आवश्यकता है। बिल यह भी बताता है कि कई मामलों में, वास्तविक इरादे से भूमि अधिग्रहण करने वाले निवेशक अपने नियंत्रण से परे कारकों के कारण निर्धारित अवधि के भीतर परियोजनाओं को पूरा करने में असमर्थ रहते हैं। ऐसी वास्तविक बाधाओं को दूर करने के लिए, निर्धारित जुर्माना चुकाने पर समय विस्तार की एक प्रणाली का प्रस्ताव किया गया है।
इसके अतिरिक्त, बिल में यह भी कहा गया है कि सहकारी आंदोलन लगभग हर गांव को कवर करता है, और अधिकांश सहकारी समितियों में मुख्य रूप से कृषक सदस्य शामिल हैं। हालांकि, एक अलग कानूनी इकाई होने के नाते, न तो ऐसी समितियाँ कृषकों के रूप में भूमि खरीद सकती हैं, और न ही उनके कृषक सदस्य वास्तविक आर्थिक गतिविधियों के लिए अपनी स्वयं की भूमि ऐसी समितियों को हस्तांतरित कर सकते हैं। राज्य में लगभग बीस लाख लोग सहकारी आंदोलन से जुड़े हुए हैं। पूरी तरह से कृषक सदस्यों से बनी सहकारी समितियों को धारा 118 की अनुमति के बिना भूमि अधिग्रहण की अनुमति देने से न केवल कृषकों को अपनी भूमि का उपयोग करके नए उद्यम शुरू करने में मदद मिलेगी, बल्कि रोजगार सृजन, प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी योगदान मिलेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया



