संजौली मस्जिद मामला : मुस्लिम संस्था ने 1915 का रिकॉर्ड पेश कर मस्जिद को बताया वैध
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- Dec 08, 2025
शिमला, 8 दिसंबर (हि.स.)। शिमला के संजौली में अवैध मस्जिद निर्माण को लेकर चल रहे विवाद में बड़ा मोड़ आ गया है। ऑल हिमाचल मुस्लिम संस्था ने दावा किया है कि संजौली में बनी मस्जिद अवैध नहीं है, बल्कि वर्ष 1915 से यहां मौजूद है। संस्था ने के पदाधिकारियों ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में ये खुलासा करते हुए वर्ष 1915 का राजस्व रिकॉर्ड भी पेश किया है। संस्था का कहना है कि मस्जिद करीब 100 साल पुरानी है और इसे हटाने की कोशिश को धार्मिक विवाद का रूप देने की कोशिश की जा रही है।
ऑल हिमाचल मुस्लिम संस्था के अध्यक्ष नजाकत अली हाशमी ने कहा कि 1915, 1997-98 और 2003 के रिकॉर्ड में भी मस्जिद दर्ज है, लेकिन बाद में रिकॉर्ड में बदलाव कर जमीन को केवल सरकारी संपत्ति के रूप में दिखाया गया, जो राजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ का मामला है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में मस्जिद कमेटी ने मस्जिद के तीन मंजिला निर्माण के लिए नगर निगम में आवेदन दिया था, जिस पर 90 दिनों तक कोई आपत्ति नहीं आई, इसलिए नियमों के अनुसार इसे अनुमोदित माना गया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय अदालत और कानून का सम्मान करता है और नगर निगम को नया आवेदन देकर यह जानना चाहता है कि अवैध निर्माण को किस तरह सही किया जा सकता है।
संस्था ने कहा है कि यदि नगर निगम एक्ट या किसी अन्य कानून के तहत ऊपर की मंजिलों में निर्माण उल्लंघन पाया जाता है, तो उसे नियमों के अनुसार सुधार किया जाएगा। संस्था ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी अवैध निर्माण का संरक्षण नहीं करेगा। नजाकत अली ने कहा कि मामले को हिंदू-मुस्लिम विवाद का रूप न दिया जाए और शांति कायम रहने दें। उन्होंने कहा कि कुछ लोग वातावरण बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
उधर, यह मामला पहले ही हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में भी पहुंच चुका है। हाल ही में वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई में हाईकोर्ट ने संजौली मस्जिद की निचली दो मंजिलों को तोड़ने पर रोक लगा दी थी, जबकि ऊपरी मंजिलों को तोड़ने के आदेश में किसी हस्तक्षेप से इनकार किया था। अदालत ने कहा था कि वक्फ बोर्ड नगर निगम को दिए अपने आश्वासन के अनुसार अतिरिक्त निर्माण को हटाए। बताया गया कि दो मंजिलें पहले ही तोड़ी जा चुकी हैं।
नगर निगम ने अदालत में कहा था कि मस्जिद कमेटी को मस्जिद निर्माण की कोई अनुमति नहीं दी गई थी, इसलिए यह निर्माण अनधिकृत नहीं बल्कि अवैध है। दरअसल, इससे पहले 30 अक्टूबर को शिमला जिला अदालत ने मस्जिद गिराने का आदेश दिया था और 31 दिसंबर तक निचली दो मंजिलें ढहाने को कहा था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च 2026 को निर्धारित की गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा



