अरावली प्रकरण: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने आंदोलन वापस लिया
- Admin Admin
- Dec 29, 2025
जयपुर, 29 दिसंबर (हि.स.)। अरावली पर्वतमाला से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने ही फैसले पर रोक लगाए जाने और उन्नाव रेप केस के आरोपित कुलदीप सेंगर की जमानत पर भी स्टे दिए जाने के बाद कांग्रेस ने राजस्थान में प्रस्तावित आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने इन दोनों मुद्दों को लेकर प्रदेशभर में प्रदर्शन और आंदोलन करने का ऐलान किया था। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए केंद्र सरकार और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव पर निशाना साधा है।
सोमवार को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसलों से जनता के बीच न्याय के प्रति विश्वास मजबूत हुआ है। डोटासरा ने कहा कि अरावली को बचाने के लिए कांग्रेस पूरी तरह से जनमानस के साथ खड़ी रही और इसी भावना के तहत आंदोलन किया जा रहा था। फिलहाल दोनों आंदोलन स्थगित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा करना चाहिए। यदि न्यायालय का अंतिम फैसला जनभावनाओं के अनुरूप आता है तो यह स्वागतयोग्य होगा, अन्यथा आंदोलन करना लोकतांत्रिक अधिकार है।
डोटासरा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अरावली मामले में सरकार के फैसले और विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर रोक लगाकर स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है। उन्होंने कहा कि इससे अरावली को खनन माफियाओं के हवाले होने से बचाया गया है। कांग्रेस को उम्मीद है कि जनवरी में आने वाला अंतिम फैसला अरावली पर्वतमाला के संरक्षण के पक्ष में होगा।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि उन्नाव रेप केस में आरोपी कुलदीप सेंगर की जमानत पर रोक लगाकर सुप्रीम कोर्ट ने न्याय दिया है। इस फैसले से आमजन में न्यायपालिका के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है। कांग्रेस पार्टी न्याय की मांग को लेकर आंदोलनरत थी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आंदोलन स्थगित किया गया है।
कांग्रेस ने साफ किया कि फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का सम्मान करते हुए आंदोलन रोके गए हैं, लेकिन भविष्य में जरूरत पड़ी तो पार्टी फिर से सड़क पर उतरने से पीछे नहीं हटेगी।
फैसले पर रोक लगाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य- गहलोत
इस मामले में पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि अरावली की परिभाषा को लेकर 20 नवंबर के फैसले पर रोक लगाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है। वर्तमान पर्यावरणीय परिस्थितियों को देखते हुए यह बेहद आवश्यक है कि अरावली को लेकर अगली शताब्दी तक की स्थिति को सोचकर काम किया जाए।
पर्यावरण मंत्री को भी अब पर्यावरण के हित में काम करने की सोच रखनी चाहिए। सरिस्का सहित पूरे अरावली में खनन बढ़ाने की सोच भविष्य के लिए ख़तरनाक है।
गहलोत ने कहा कि पहले जनता में जो आक्रोश पैदा हुआ, लोग सड़कों पर आए प्रदर्शन किया, एक मैसेज दिया कि इस फैसले को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्री के लिए भी अवसर है। मैंने पहले भी कहा था कि इस पर राजनीति नहीं करनी है, लेकिन आपको खुद को अपना विचार बदलना पड़ेगा। आपने जो सरिस्का में फैसला करवाने का प्रयास किया इससे आपके जिले में बहुत आक्रोश है। दूसरा जो फैसला केंद्र में हुआ था। उसको लेकर भी आप सपोर्ट कर रहे थे। लोगों को भ्रमित कर रहे थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित



