आईआईटी ने अपशिष्ट से हाइड्रोजन तकनीक उद्योग को सौंपी

हरिद्वार, 3 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी रूड़की) ने जैविक द्रव अपशिष्ट के उत्प्रेरक अधितापीय गैसीकरण के माध्यम से हाइड्रोजन-समृद्ध गैस निर्माण से संबंधित अत्याधुनिक तकनीक को इनफिनेट इंटिग्रटिड एनर्जी टेक्नोलोजीज एलएलपी को सफलतापूर्वक हस्तांतरित किया है। यह कदम सतत अपशिष्ट से ऊर्जा समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।

यह तकनीक प्रोफेसर नरपूरेड्डी शिवा मोहन रेड्डी द्वारा विकसित की गई है, जो जैविक द्रव अपशिष्ट को निरंतर उत्प्रेरक अधितापीय गैसीकरण प्रक्रिया के माध्यम से हाइड्रोजन-समृद्ध गैस में परिवर्तित करती है। यह प्रणाली बड़े पैमाने और व्यावसायिक उपयोग के लिए अत्यंत उपयुक्त है। यह नवाचार अपशिष्ट प्रबंधन, हाइड्रोजन प्राप्ति तथा कार्बन-पदचिह्न में कमी के लिए एक टिकाऊ समाधान प्रस्तुत करता है।

प्रोफेसर नरपूरेड्डी शिवा मोहन रेड्डी, आविष्कारक ने कहाकि हमारा अनुसंधान प्रक्रिया-दक्षता को पर्यावरणीय स्थिरता के साथ जोड़ने पर केंद्रित है। यह तकनीक दर्शाती है कि जैविक द्रव अपशिष्ट से हाइड्रोजन को प्रभावी रूप से प्राप्त किया जा सकता है, जो देश के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में सहायक है।

रामचंद्र राजू दंतुलुरी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, इनफिनेट इंटिग्रटिड एनर्जी टेक्नोलोजीज ने कहाकि हम आईआईटी रूड़की के साथ इस परिवर्तनकारी अपशिष्ट से हाइड्रोजन तकनीक पर सहयोग कर प्रसन्न हैं। हमारा लक्ष्य इस नवाचार को प्रयोगशाला से उद्योग तक ले जाना है, जिससे भारत हाइड्रोजन-आधारित अर्थव्यवस्था के और निकट पहुंच सके।

प्रोफेसर विवेक कुमार मलिक, अधिष्ठाता (प्रायोजित अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श), आईआईटी रूड़की कहाकि यह हस्तांतरण आईआईटी रूड़की की उन्नत अनुसंधान को व्यावहारिक औद्योगिक समाधान में परिवर्तित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

प्रोफेसर केके पंत, निदेशक, आईआईटी रूड़की ने कहाकि आईआईटी रूड़की में हम समाज पर वास्तविक प्रभाव डालने वाली तकनीकों को आगे बढ़ाने में विश्वास रखते हैं। यह अपशिष्ट से हाइड्रोजन नवाचार स्वच्छ ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हमारे योगदान का उत्कृष्ट उदाहरण है।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला