काशी तमिल संगमम—4: तमिलनाडु के छात्रों के दल ने बीएचयू में भ्रमण किया
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- Dec 03, 2025
— भारत कला भवन और कला संकाय की कला दीर्घा में भारत की कला, संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर से हुए रूबरू
वाराणसी,03 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर–दक्षिण के लोगों के बीच संवाद और समझ को मजबूत करने के लिए वाराणसी में आयोजित काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण में भाग लेने आए तमिल छात्रों के दल ने बुधवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में भ्रमण किया। विशाल बीएचयू परिसर को देख तमिल छात्र चकित रह गए।
परिसर में भ्रमण के बाद तमिल छात्रों के दल को भारत कला भवन और कला संकाय की कला दीर्घा का अवलोकन कराया गया। यहां तमिल छात्र भारत की कला, संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर से रूबरू हुए। डॉ. निश्चंत (उप–निदेशक, भारत कला भवन) और डॉ. सुरेश चंद्र जांगिड (प्रदर्शनी समन्वयक) के मार्गदर्शन में छात्रों ने आईआईटी–बीएचयू के I-3 फाउंडेशन में नवाचार और स्टार्टअप परितंत्र का अवलोकन किया। यहां प्रो. मनोज कुमार मेश्राम ने ज़ोस्टेल, क्रिकबज़, शॉपक्लूज़ और क्लीन इलेक्ट्रिक जैसे स्टार्टअप उदाहरणों के माध्यम से संस्थान की उद्यमिता यात्रा को समझाया।
प्रतिनिधियों ने आर्यो ग्रीन टेक लैब का भी भ्रमण किया और तकनीकी अनुसंधान व नवीन समाधानों को नजदीक से जाना। इसी क्रम में सीडीसी सुविधा में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में छात्रों को स्टार्टअप वातावरण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, आधुनिक कृषि तकनीकों और व्यवसायिक संचार में एआई के उपयोग के बारे में जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम का संचालन सिमरन दुबे ने किया और स्वागत भाषण डॉ. राजकिरण प्रभाकर (आईएमएस) ने दिया। सत्रों में श्वेता सिंह ने प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए विकसित लिक्विड बायोप्सी तकनीक पर व्याख्यान दिया, मृत्युञ्जय सिंह ने डेटा प्राइवेसी और साइबर अपराधों पर जानकारी दी। मिथिलेश सिंह ने एग्रो-टूरिज्म और आधुनिक कृषि नवाचारों पर प्रकाश डाला, रोहित तिवारी (केपलर एआई) ने शिक्षा क्षेत्र में एआई की भूमिका समझाई। आयुष साहू ने होटल व अस्पताल क्षेत्र में बहुभाषी एआई संचार तकनीक का प्रदर्शन किया। इसी क्रम में दल ने बीएचयू के भारतीय भाषाएँ विभाग के तमिल खंड में आयोजित पैनल चर्चा में भी भाग लिया। यहां डॉ. जगदीशन ने 1945 में स्थापित तमिल विभाग की शैक्षणिक विरासत का परिचय दिया ।
प्रो. गंगाधरण ने महाकवि भारती और उनके साहित्यिक योगदान पर विचार रखे, जबकि महाकवि भारती की पौत्री डॉ. जयंती मुरली ने काशी में उनके छात्र जीवन और काशी के उनके व्यक्तित्व पर पड़े प्रभाव के महत्वपूर्ण प्रसंग साझा किए। प्रसिद्ध तमिल कवि इसैकवि रामनन ने काशी की प्राचीनता, उसके सांस्कृतिक–धार्मिक महत्व को बताया। दल के लिए यह प्रथम शैक्षणिक सत्र ज्ञान, संस्कृति, नवाचार और उत्तर–दक्षिण संवाद को नई ऊर्जा देने वाला साबित हुआ।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी



