फाजिल्का में शहीद को विधायक ने दिया कंधा:अंतिम विदाई देने उमड़ी भीड़; 3 फरवरी को होनी थी शादी, शिलांग में तैनात थे
- Admin Admin
- Dec 28, 2025
फाजिल्का के शहीद बीएसएफ जवान राजिंदर सिंह का आज उनके गांव झुग्गे गुलाब सिंह में अंतिम संस्कार किया गया। AAP विधायक नरेंद्रपाल सवना ने शहीद की अर्थी को कंधा दिया। इस दौरान उनको अंतिम विदाई देने के लिए भारी भीड़ उमड़ी। परिजनों के मुताबिक, राजिंदर सिंह की 3 फरवरी को शादी होने वाली थी। लेकिन 26 दिसंबर को शिलांग (मेघालय) में गोली लगने से शहीद हो गए। उनके पार्थिव शरीर को फ्लाइट के जरिए अमृतसर लाया गया, जिसके बाद सड़क मार्ग से उनके पैतृक गांव झुग्गे गुलाब सिंह पहुंचाया गया। गांव की श्मशान भूमि में उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान पूरे गांव में शोक का माहौल रहा। शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण, सियासी नेता और बीएसएफ के जवान मौजूद रहे। विधायक ने परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि वे इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ खड़े हैं और हर संभव मदद की जाएगी। घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं शहीद के पिता हरनाम सिंह ने बताया कि उनका बेटा शिलांग, मेघालय में बीएसएफ में तैनात था और दो दिन पहले शहीद हो गया। उन्होंने कहा कि राजिंदर सिंह में शुरू से ही देशभक्ति का जज्बा था और इसी भावना के चलते उसने बीएसएफ जॉइन कर देश सेवा का रास्ता चुना। बेटे की शहादत पर गर्व जताते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि परिवार को गहरा दुख है, लेकिन उन्हें अपने बेटे के बलिदान पर नाज है। उन्होंने यह भी बताया कि आगामी 3 फरवरी को राजिंदर सिंह की शादी तय थी और इसकी सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। अचानक शहादत की खबर से पूरा परिवार सदमे में है। शहीद के पिता ने सरकार और प्रशासन से अपने पीछे बचे एक बेटे और एक बेटी के भविष्य के लिए सहायता की मांग की है। बठिंडा आ रहे थे, अचानक फोन आने पर हेडक्वार्टर लौटे 193 बटालियन बीएसएफ से राजिंदर सिंह का पार्थिव शरीर लेकर आए एएसआई तारा सिंह ने बताया कि वह छुट्टी पर बठिंडा वापस लौट रहे थे कि उन्हें हेडक्वार्टर से फोन आने पर वापस आने के लिए कहा गया। जिससे वह रास्ते से ही शिलांग वापस लौट गए। फ्लाइट लेट हो रही थी, ऐसे में वह मौके पर पहुंचे और तुरंत राजिंदर के पार्थिव शरीर को लेकर फाजिल्का की और रवाना हो गए। उन्होंने बताया कि राजिंदर सिंह उसके साथ ही तैनात था और बिहार में भी चुनावों के दौरान उसने उसके साथ ड्यूटी निभाई थी। अब वह शिलांग मेघालय में ड्यूटी पर था। उसकी मौत कैसे हुई अभी उन्हें ये नहीं पता है। देरी होने के चलते वह जल्दी में उसके पार्थिव शरीर को लेकर फाजिल्का आ गए हैं।



