मोक्षदा एकादशी कल:बाल गोपाल को दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिला पंचामृत बना लगाएं भोग

भास्कर न्यूज | जालंधर हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व होता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने वाले भक्त सभी सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष की प्राप्ति करते हैं। इस बार मोक्षदा एकादशी 1 दिसंबर को है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव दुर्गा खाटू श्याम मंदिर के पुजारी गौतम भार्गव ने बताया कि एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास और पूजा करने की परंपरा है। उन्होंने बताया कि एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा के साथ ही व्रत भी जरूर करें। व्रत करना चाहते हैं तो सुबह पूजा करते समय व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भक्त एकादशी के दिन उपवास के नियमों का कड़ाई से पालन करते हैं। तथा अगले दिन सूर्योदय के बाद ही उपवास समापन करते हैं। एकादशी व्रत के दौरान सभी प्रकार के अनाज का सेवन वर्जित होता है। भूखे रहना मुश्किल हो तो फलाहार कर सकते हैं, दूध और फलों का रस पी सकते हैं। मोक्षदा एकादशी मुहूर्त पंचांग के अनुसार मोक्षदा एकादशी की शुरुआत 30 नवंबर को रात को 9 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 1 दिसंबर को 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगी। सूर्य उदय 1 दिसंबर को होने की वजह से एकादशी 1 दिसंबर को मान्य होगी। मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण इसके अगले दिन 2 दिसंबर 2025 मंगलवार को सुबह 6:57 से लेकर 9:03 बजे के बीच किया जा सकेगा। महत्व... मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था। इसी कारण इसे गीता जयंती भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और व्रत रखने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही देवी-देवता और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। मोक्षदा एकादशी के दिन गीता को पढ़ना या सुनाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति की हर मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।