जगराओं के विर्क में मुंह-खुर से 8 पशु मरे:बीमारी फैलने से पशुपालकों में चिंता, विभाग ने सैंपल भेजे लैब

लुधियाना जिले के जगराओं के विर्क गांव और आसपास के क्षेत्रों में मुंह-खुर (FMD) बीमारी तेजी से फैल रही है। इस संक्रमण के कारण अब तक आठ दुधारू पशुओं की मौत हो चुकी है, जिससे पशुपालकों में दहशत का माहौल है। शनिवार को क्षेत्र का दौरा करने पर कई घरों के बाहर सफेद चूना और कीटनाशक का छिड़काव देखा गया, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। दूध बेचकर चलाते थे परिवार गांव विर्क के किसान सुरजीत सिंह के परिवार को बीमारी से सबसे अधिक नुकसान हुआ है। मात्र तीन-चार दिनों में उनकी दो गायें, चार भैंसें और दो कट्टियां मर गईं। सुरजीत सिंह, जो प्रतिदिन 35 लीटर दूध बेचकर अपने परिवार का गुजारा करते थे, अब घर चलाने के लिए बाजार से दूध खरीदने को मजबूर हैं। सात-आठ पशु अभी भी संक्रमित उन्होंने बताया कि बचे हुए पशुओं का दूध भी सूख गया है और उनके सात-आठ पशु अभी भी संक्रमित हैं, जिनका इलाज विश्वविद्यालय के डॉक्टर कर रहे हैं। इसी गांव के डेयरी संचालक हरनेक सिंह की भी दो छोटी कट्टियां संक्रमण की चपेट में आकर मर गईं। उनका कहना है कि वे सुरजीत सिंह के मृत पशु को उठवाने गए थे, जिसके बाद यह बीमारी उनके घर तक पहुंच गई। 15 दिनों तक गांव में रोका प्रवेश गांववासियों ने आरोप लगाया है कि एक निजी पशु डॉक्टरों के टीकाकरण के लिए कुछ घरों में आने के बाद यह वायरस फैलना शुरू हुआ। शिकायत के बाद अधिकारियों ने उक्त डॉक्टर को 15 दिनों के लिए गांव में प्रवेश से रोक दिया है।स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अमरीक सिंह अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे। उन्होंने संक्रमित पशुओं के खून और लार के नमूने लेकर जांच के लिए लैब भेज दिए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। जागरूक करने के लिए हो रही मुनादी इलाके के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. बलजीत सिंह ने बताया कि गांव के सरपंच के सहयोग से गुरुद्वारों में लाउडस्पीकर के माध्यम से घोषणाएं करवाकर लोगों को सतर्क किया जा रहा है। विभाग हर साल 15 अक्टूबर से 30 नवंबर तक मुंह-खुर से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान चलाता है। इस वर्ष वैक्सीन 17 अक्टूबर को प्राप्त हुई थी और टीम ने कुल 2942 पशुओं का टीकाकरण किया है। उन्होंने बताया कि जिस घर में पशुओं की मौत हुई, वहां बार-बार कहने के बावजूद भी वैक्सीनेशन नहीं करवाया गया और परिवार प्राइवेट डॉक्टर पर निर्भर रहा, जिससे हालात बिगड़ते चले गए। वर्तमान स्थिति खतरे से बाहर- डॉ. बलजीत डॉ. बलजीत ने कहा कि वर्तमान स्थिति खतरे से बाहर है और समय रहते बीमारी को कंट्रोल कर लिया गया है। विभाग लगातार निगरानी कर रहा है और जरूरत पड़ने पर टीम गांव में मौजूद रहेगी। उन्होंने बताया कि बायो-सिक्योरिटी ही पशुओं को बीमारी से बचाने का सबसे प्रभावी उपाय है। उन्होंने पशुपालकों को सलाह दी कि बीमार पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें, घर में बाहरी आवाजाही रोकें, सभी पशुओं का सरकारी विभाग से टीकाकरण करवाएं। गोशाला/डेयरी की साफ-सफाई बनाए रखें। नए पशुओं को 7–10 दिन अलग रखें। चूने व कीटनाशक का नियमित छिड़काव करें। गांव में हालात पर विभाग की कड़ी नजर बनी हुई है।