दरिंदगी पर माफी वाले बयान से भड़के वकील:पास्टर अंकुर नरूला को कानूनी नोटिस 24 घंटे में माफी न मांगी तो होगी FIR

पंजाब के लुधियाना में वकील ने जालंधर में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले में विवादित बयान देकर घिरे चर्च के पास्टर अंकुर नरूला की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं। नरूला के उस बयान पर जिसमें उन्होंने आरोपी को धार्मिक शरण में माफी मिलने की बात कही थी अब कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है। लुधियाना के वकील गौरव अरोड़ा के माध्यम से इंटरनेशनल खालिस्तानी टेररिस्ट रेजिस्टेंस फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरसिमरन सिंह मंड ने अंकुर नरूला को एक कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि 24 घंटे के भीतर बिना शर्त माफी नहीं मांगी गई तो उनके खिलाफ FIR दर्ज कराई जाएगी। विवाद की जड़: क्या था वो बयान? हाल ही में जालंधर में एक मासूम बच्ची के साथ हुई क्रूरता ने पूरे पंजाब को झकझोर कर रख दिया था। इस बीच अंकुर नरूला का एक वीडियो और प्रवचन सामने आया जिसमें वे कथित तौर पर यह कहते सुनाई दिए कि अगर आरोपी एक विशेष धार्मिक विश्वास (ईसाई धर्म) को स्वीकार कर लेता है तो उसे क्षमा प्राप्त हो सकती है। इस बयान को समाज के एक बड़े वर्ग ने न्याय प्रणाली का अपमान और अपराधियों को बढ़ावा देने वाला माना है। सोशल मीडिया पर भी इस कथित माफी वाले बयान की तीखी आलोचना हो रही है। नोटिस में गंभीर आरोप: गुरसिमरन सिंह मंड के वकील द्वारा भेजे गए नोटिस में भारतीय न्याय संहिता (BNS 2023) की विभिन्न धाराओं का हवाला दिया गया है शत्रुता को बढ़ावा देना (धारा 196) आरोप है कि नरूला के बयान से सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है सार्वजनिक उपद्रव (धारा 353) समाज में तनाव फैलाने वाले बयान देने का आरोप। संविधान का उल्लंघन नोटिस में कहा गया है कि अनुच्छेद 21 के तहत पीड़िता के गरिमापूर्ण न्याय के अधिकार को ठेस पहुंचाई गई है। किसी बच्चे के साथ हुई जघन्य हिंसा को 'धार्मिक क्षमा' के नाम पर हल्का करना अपराधियों के हौसले बढ़ाने जैसा है। यह हमारी कानूनी व्यवस्था की जड़ों पर प्रहार है। 24 घंटे का अल्टीमेटम: ये हैं मुख्य मांगें नोटिस में अंकुर नरूला के सामने 4 प्रमुख शर्तें रखी गई हैं सभी प्लेटफॉर्म से विवादित वीडियो और सामग्री को तुरंत डिलीट किया जाए। बिना किसी बहाने के सार्वजनिक रूप से लिखित माफी मांगी जाए। स्पष्ट किया जाए कि कानून से ऊपर कोई धार्मिक विश्वास नहीं है। भविष्य में ऐसे विचाराधीन आपराधिक मामलों पर टिप्पणी न करने का लिखित वचन दिया जाए। यदि नरूला द्वारा तय समय सीमा में जवाब या माफी नहीं दी जाती तो शिकायतकर्ता ने पंजाब पुलिस महानिदेशक (DGP) राज्य मानवाधिकार आयोग और माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है। फिलहाल इस मामले ने धार्मिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।