पंजाब-सोसाइटी-RTI-विवाद:भट्ट बोले-गैर सरकारी सोसाइटियों को RTI के दायरे में शामिल करना असंवैधानिक फैसला

पंजाब सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अमेंडमेंट एक्ट 2025 (प्रस्तावित ) को लेकर लगातार विवाद हो रहा है। आज एक विशेष बैठक मॉडल टाउन लुधियाना में हुई। बैठक में सांझा मंच के समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि अनुभव कुमार, बलदेव अरोड़ा, बलदेव बावा, मनमोहन सिंह, विशाल गर्ग, शिफू अग्रवाल, गौरव नागर,सुरिंदर नेगी, पृथिपाल सिंह, राजेश नागर, भुवनेश भट्ट आदि शामिल हुए। स्कूल संघ पंजाब के प्रतिनिधि भुवनेश भट्ट ने कहा कि RTI एक्ट 2005 की धारा 2(h) में संशोधन किए बिना, गैर सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त सोसाइटियों को RTI एक्ट के दायरे में शामिल करना कानूनी रूप से संभव नहीं है और RTI Act 2005 केंद्रीय क़ानून है। सरकार का ये असंवैधानिक फैसला है। जिसमें संशोधन राज्य सरकार के दायरे में नहीं आता। अतः इस मुद्दे पर बारीकी से नजर रखी जाए और नोटिफिकेशन होने पर फिर से चर्चा करके उपयुक्त कदम उठाए जाएं। बैठक में बोलते हुए FAP के प्रतिनिधि अनुभव जैन ने कहा कि सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड विभिन्न सोसाइटियां स्वास्थ-शिक्षा-खेल प्रोत्साहन जैसी सरकारी जिम्मेदारी को बिना सरकार से एक रुपये की मदद लिए निभा रही हैं। इसके साथ ही संस्कृति और सभ्याचार के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित है। बजाय कि इन समाज सेवी संस्थाओं को बढ़ावा देने के, वर्तमान पंजाब सरकार जो कि खुद ऐसी पार्टी से संबंधित हैं जोकि एक सामाजिक संस्था के आंदोलन से जन्मी है। इसका सामाजिक संस्थाओं पर गैर जरूरी शिकंजा कसने की कोशिश हैरानीजनक है। JKF के प्रतिनिधि प्रीतपाल सिंह ने कहा कि सरकार का गैर सरकारी सामाजिक संस्थाओं (सोसाइटी) को RTI के दायरे में शामिल करने की कोशिश न केवल असंवैधानिक है बल्कि चुनावी वर्ष में सरकार की छवि को भी धूमिल करेगी। शायद सरकार केवल अफसरशाही के इनपुट तक सीमित होती जा रही है। बैठक में स्कूल संघ पंजाब के प्रतिनिधि राजेश नागर ने कहा कि उक्त प्रस्तावित सोसाइटी एक्ट संशोधन में RTI संबंधी कोलाज को छोड़कर बाकी सभी बातें पहले से ही सोसाइटी एक्ट का हिस्सा हैं। यह केवल पुराने सामान को नई पैकिंग करके मार्केटिंग का मामला लगता है। कानूनी विकल्प पर होगी चर्चा पंजाब कैबिनेट द्वारा 29 नवंबर 2025 को पास उक्त बिल जो कि अभी नोटिफाई नहीं हुआ है। उसके अंतर्गत सभी सोसाइटीज़ को RTI Act के दायरे में शामिल करने संबंधी प्रावधान पूरी तरह असंवैधानिक फैसला है। इस संबंधी नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इस पर सभी कानूनी विकल्पों पर चर्चा कि जाएगी।