डेटा सेंटर के नाम पर पंजाब-हरियाणा में हाईटेक ठगी:लुधियाना में 2 कंपनियों के खिलाफ FIR, मुनाफे के लालच में डूबे करोड़ों रुपए
- Admin Admin
- Dec 30, 2025
पंजाब, हरियाणा व कुछ अन्य राज्यों में डेटा सेंटर के नाम पर ठगी करने वाली दो कंपनियों के खिलाफ अब इन्वेस्टर भी सामने आने लगे हैं। इन्वेस्टर्स ने अब पुलिस को शिकायत देनी शुरू कर दी। पुलिस कमिश्नर के पास दो अलग-अलग कंपनियों के खिलाफ शिकायतें पहुंची तो उन्होंने जांच के बाद FIR दर्ज करवा दी। लुधियाना में इंवेस्टर्स की शिकायत पर पुलिस कमिश्नर ने एडीसीपी लेवल के अधिकारियों से जांच करवाई। शासा मैडिटेक प्राइवेट लिमिटेड के पांच डायरेक्टर्स के खिलाफ 19 नवंबर में थाना डिवीजन नंबर छह और व्यूनाउ मार्केटिंग सर्विसेज के दो डायेक्टर्स के खिलाफ 26 दिसंबर को थाना डिवीजन नंबर सात में FIR दर्ज की गई। इंवेस्टर्स के इन कंपनियों में करोड़ा रुपए डूब गए। उम्मीद टूटी तो की सीपी को शिकायत इंवेस्टर्स को पहले तो उम्मीद थी कि उनके पैसे वापस मिल जाएंगे। कंपनियों ने जब पैसे वापस करने में हाथ खड़े कर दिए तो लोगों ने पुलिस कमिश्नर को शिकायत करनी शुरू कर दी। पुलिस कमिश्नर ने मामले की जांच करवाकर एक एफआईआर व्यूनाउ व दूसरी शासा मैडिटेक प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर्स के खिलाफ पर्चा दर्ज करवा दिया। Vuenow ग्रुप के सीईओ व उनकी पत्नी पर 60 लाख की ठगी, FIR लुधियाना पुलिस कमिश्नरेट के थाना डिवीजन नंबर-7 में Vuenow ग्रुप ऑफ कंपनियों के खिलाफ बड़े स्तर पर ठगी और धोखाधड़ी का मामला 26 दिसंबर को दर्ज किया गया है। शिकायत के आधार पर Vuenow ग्रुप के CEO सुखविंदर सिंह खरोड़ और उनकी पत्नी डिंपल खरोड़ को नामजद आरोपी बनाया गया है। यह मामला करीब 60.22 लाख रुपये की कथित ठगी से जुड़ा है। परिवार ने मिलकर किया 60.22 लाख रुपये का निवेश शाम लाल ने बताया कि उन्होंने अपनी फर्म भनोट एंटरप्राइजेज के जरिए करीब 49.50 लाख रुपये, जबकि उनकी पत्नी अनीता शर्मा और बेटे गौरव शर्मा ने अलग-अलग खातों से 5.36-5.36 लाख रुपये निवेश किए। इसके अलावा परिवार से जुड़ी अन्य राशि भी कंपनी में लगाई गई। शुरुआत में कुछ समय तक किराये के रूप में करीब 2.34 लाख रुपए वापस मिले, लेकिन इसके बाद भुगतान पूरी तरह बंद हो गया। व्यूनाउ के डायरेक्टर्स को ED कर चुकी है गिरफ्तार व्यूनाउ मार्केटिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड पर एक साल पहले नवंबर 2024 में ED ने रेड की थी। उसके बाद व्यूनाउ कंपनी व उससे जुड़ी अन्य कंपनियों की जांच शुरू की। तब ईडी को 178 करोड़ रुपए के घपले की बात सामने आई। उसके बाद फरवरी 2025 में ईडी ने कंपनी के डायरेक्टर सुखविंदर सिंह खरोड़ व उनकी पत्नी डिंपल खरोड़ को गिरफ्तार किया। उसके बाद एक और व्यक्ति को ईडी ने गिरफ्तार किया। जांच होते-होते गड़बड़ी 3700 करोड़ रुपए तक सामने आई। शासा मेडिटेक प्राइवेट लिमिटेड के पांच डायरेक्टर्स के खिलाफ FIR पुलिस कमिश्नर को कुछ निवेशकों ने कंपनी के डायरेक्टर्स के खिलाफ शिकायत दी थी। शिकायत की जांच के बाद पुलिस ने नवंबर माह में थाना डिवीजन नंबर छह में पर्चा दर्ज किया। पुलिस ने कंपनी के डायरेक्टर रमेश पाल, अनिल पांडे, सुनील कुमार, गौरव यादव व अनिल पांडे की पत्नी शिवानी पांडे के खिलाफ मामला दर्ज किया। 3.01 करोड़ की राशि फंसी शिकायतकर्ता प्रवेश कुमार शर्मा और पंकज कुमार सहित कई निवेशकों ने बताया कि उनकी करीब 3.01 करोड़ रुपये की राशि फंसी है। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने माना कि आरोपियों ने साजिश के तहत धोखाधड़ी और अमानत में खयानत की है, जिससे निवेशकों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। आरोप है कि इस आर्थिक तनाव के चलते कुछ निवेशकों की मौत भी हुई। डेटा सेंटर के नाम पर कंपनियों ने कैसे की ठगी, जानिए मोटे मुनाफे का दिया झांसा: कंपनी ने मार्केट में उन लोगों को ढूंढा जिनके ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क थे। ऐसे लोगों को कंपनी के प्रतिनिधियों ने मोटे मुनाफे का लालच दिया। यही नहीं उन्हें यह भी कहा गया कि अगर वो अपने रेफरेंस पर किसी और से इंवेस्ट करवाते हैं तो उन्हें भी कमीशन दी जाएगी। डेटा सेंटर में स्टोर यूनिट खरीदना था: कंपनी के एजेंट्स ने लोगों को कहा कि देश और दुनिया ऑनलाइन सिस्टम की तरफ तेजी से बढ़ रही है। देश में डेटा स्टोरेज सेंटर नहीं हैं। उनकी कंपनी ने डेटा सेंटर बनाए हैं और वहां पर डेटा स्टोर यूनिट बनाए गए हैं जिन्हें कंपनी बेच रही है। 34409 रुपए इन्वेस्ट करके 1100 रुपए प्रतिमाह किराया: एक डेटा स्टोर यूनिट की कीमत 34409 रुपए रखी गई। एक यूनिट खरीदने पर इन्वेस्टर को प्रति माह दस साल तक 1100 रुपए मिलने थे। उन्हें समझाया गया कि तीन साल में यूनिट के पैसे पूरे हो जाएंगे और उसके बाद सात साल तक उनकी 11 रुपए प्रति माह प्रति यूनिट कमाई होती रहेगी।इसी चक्कर में लोगों ने करोड़ों रुपए इन्वेस्ट कर दिए। डेढ़ दो साल देते रहे इन्वेस्टर को किराया: कंपनियां शुरुआती डेढ़ से दो साल तक लोगों को यूनिट बेचकर उन्हें प्रति माह किराए के तौर पर 1100 रुपए रिटर्न करती रही। लोगों का विश्वास पैदा किया कि कंपनी से सही टाइम पर रिटर्न मिल रही है। उसके बाद लोगों ने लाखों रुपए इंवेस्ट करके यूनिट खरीद लिए। जब कंपनी ने हजारों करोड़ रुपए एकत्रित कर दिए तो उसके बाद रिटर्न बंद कर दी। कंपनी इन्वेस्टर को कुछ देर झांसा देती रही: कंपनी की तरफ से जब मंथली रिटर्न आनी बंद हुई तो इन्वेस्टर को शक होने लगा। उसके बाद भी कंपनी उन्हें झांसा देती रही। लोगों को उम्मीद थी कि आखिर में उनके पैसे मिल जाएंगे। धीरे धीरे कंपनी के डायरेक्टर्स ने लोगों के फोन ही उठाने बंद कर दिए। व्यूनाउ पर पर ईडी की रेड: नवंबर 2024 में वित्तीय रिकार्ड में गड़बड़ी के शक में ईडी ने व्यूनाउ कंपनी व कंपनी से जुड़ी अन्य संस्थाओं पर रेड की। कंपनी के डायरेक्टर फिर भी इन्वेस्टर को कहते रहे सब कुछ ठीक है उनके पैसे मिल जाएंगे। फरवरी में ईडी ने कंपनी के तीन डायरेक्टर्स गिरफ्तार कर लिए। तब तक निवेशकों ने डायरेक्टर के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की थी।



