पंजाब में कादियां-ब्यास रेल लाइन का काम डीफ्रीज:रेल राज्य मंत्री बिट्‌टू बोले-इस लाइन पर दोबारा शुरू होगा रेल लाइन का काम

रेलवे ने लंबे समय से लंबित 40 किलोमीटर लंबी कादियां-ब्यास रेल लाइन पर काम दोबारा शुरू करने का फैसला किया है। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने अधिकारियों को इस परियोजना को “डीफ्रीज” करने के निर्देश दिए हैं। पहले यह परियोजना एलाइन्मेंट की चुनौतियों, भूमि अधिग्रहण और स्थानीय स्तर की राजनीतिक कारणों से “फ्रीज” श्रेणी में डाल दी गई थी। विभिन्न प्रकार की अड़चनों के कारण रेलवे ने इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिए थे और इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्‌टू ने इस मामले को उठाया और इस प्रोजेक्ट को फिर से लाने का फैसला किया। पंजाब के लंबित प्रोजेक्टों को कर रहे पुनर्जीवित बिट्टू ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी, रेल मंत्री वैष्णव ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पंजाब के रेलवे प्रोजेक्ट्स के लिए धन की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि उसके बाद से वो लगातार नए प्रोजेक्ट शुरू करने, लंबित प्रोजेक्ट पूरे करने और अप्रत्याशित कारणों से बंद पड़े प्रोजेक्ट्स को पुनर्जीवित करने में जुटे हैं। मोहाली-राजपुरा, फिरोजपुर-पट्टी और अब कादियां-ब्यास प्रोजेक्ट पर काम शुरू करवा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह लाइन कितनी महत्वपूर्ण है। इसी वजह से अधिकारियों को सभी बाधाएं दूर करके निर्माण कार्य फिर से शुरू करने के निर्देश दिए। यह नई रेल लाइन क्षेत्र के “इस्पात नगरी” कहे जाने वाले बटाला की संघर्ष कर रही औद्योगिक इकाइयों को महत्वपूर्ण बढ़ावा देगी। रेलवे बोर्ड को शीघ्र दिया जाएगा एस्टीमेट बिट्‌टू ने बताया कि उत्तरी रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) द्वारा जारी एक पत्र में कहा गया है, रेलवे बोर्ड इसे डीफ्रीज करके इसका एस्टीमेट तुरंत पास करेगा और इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। अंग्रेजों ने दी थी सबसे पहले इसे मंजूरी इस परियोजना का इतिहास बहुत पुराना है। बिट्टू ने बताया कि इसे सबसे पहले 1929 में ब्रिटिश सरकार ने मंजूरी दी थी और नॉर्थ-वेस्टर्न रेलवे ने काम शुरू किया था। 1932 तक लगभग एक-तिहाई काम पूरा हो चुका था, लेकिन अचानक परियोजना बंद कर दी गई थी। रेलवे ने इसे “सामाजिक रूप से वांछनीय परियोजना” का दर्जा दिया और 2010 के रेल बजट में शामिल किया था। लेकिन योजना आयोग द्वारा उठाई गई वित्तीय चिंताओं के कारण काम एक बार फिर रुक गया। “सामाजिक रूप से वांछनीय परियोजनाओं” की श्रेणी में रेलवे समावेशी विकास पर ध्यान देता है, जिसमें राजस्व उत्पन्न न करने वाली परियोजनाओं के बावजूद किफायती और सुलभ परिवहन सेवाएं प्रदान की जाती हैं।