​​​​​​​पूर्व CM चन्नी को प्रधान बनाने पर परगट बोले::मुझे कोई प्रोब्लम नहीं, डिसीजन किसी और जगह होते हैं, उस पर कोई कमेंट नहीं

पंजाब कांग्रेस में फेरबदल की संभावनाओं के बीच पूर्व CM चरणजीत सिंह चन्नी को प्रधान पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। वहीं उनके साथ बतौर खेल मंत्री काम कर चुके परगट सिंह का नाम भी प्रदेश प्रधान के लिए रेस में चल रहा है। इसके अलावा सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रताप सिंह बाजवा का नाम भी चर्चा में चल रहा है। पूर्व सीएम चन्नी को प्रधान बनाए जाने के सवाल पर परगट सिंह ने कहा कि उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं है लेकिन इसके डिसीजन किसी और जगह होते हैं, उस पर कोई कमेंट नहीं कर सकता। परगट सिंह को भी उम्मीद है कि अगर हाइकमान कोई फेरबदल करता है तो उनके नाम पर भी चर्चा हो सकती है। परगट सिंह लगातार दो बार विधायक व एक बार मंत्री बने हैं। वो सुलझे हुए नेता हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी को भी हल्के में नहीं आंका जा सकता। परगट सिंह विधान सभा से लेकर सड़क तक हर प्लेटफार्म पर पार्टी का पक्ष मजबूती से रखते हैं। यही नहीं परगट सिंह राहुल गांधी के भी काफी करीबी माने जाते हैं। अखंड पाठ में माथा टेकने गए थे, इसे राजनीति से न जोड़ें परगट सिंह ने कहा कि चन्नी ने अपने घर में अखंड पाठ रखा था और उसमें सभी को आमंत्रित किया था। सभी नेता माथा टेकने गए। इसे राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए। चन्नी के विधानसभा इलेक्शन लड़ने और सीएम फेस के सवाल पर कहा कि बिना इलेक्शन लड़े भी कोई सीएम बन सकता है। यह तो पार्टी हाइकमान को तय करना होता है। राजा वड़िंग से दूरी बनाकर चलते हैं परगट सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री परगट सिंह का नाम भी प्रधान पद के दावेदारों में शामिल है। वे मौजूदा प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के विरोधी गुट में माने जाते हैं। लुधियाना वेस्ट उपचुनाव के दौरान परगट सिंह भारत भूषण आशु के समर्थन में चुनाव प्रचार करते रहे। वहीं पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के साथ उनके अच्छे संबंध हैं। परगट स्पष्टवादिता और संगठन में पकड़ परगट सिंह कांग्रेस सरकार (2017–22) में कैबिनेट मंत्री रहे और शिक्षा-खेल विभाग में कई फैसलों के कारण चर्चा में रहे। वे उन नेताओं में हैं जो फैसलों और नीतियों पर खुलकर बोलते हैं, चाहे पार्टी लाइन कुछ भी हो। यही कारण है कि पार्टी के भीतर कई नेता उन्हें एक प्रभावी और एक्टिव संगठनात्मक चेहरा मानते हैं। पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी तेज वड़िंग की कार्यशैली को लेकर असंतोष और लोकसभा चुनावों में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन ने पंजाब कांग्रेस में नेतृत्व बदलाव के लिए जमीन तैयार कर दी है। इसी बीच चन्नी का बढ़ता राजनीतिक प्रभाव और दलित वर्ग में उनकी स्वीकार्यता भी बड़ा फैक्टर है। चन्नी ने नेताओं को अपने घर पर बुलाकर हाइकमान को यह संदेश भी दिया कि पंजाब में वो ही गुटबाजी को खत्म कर सकते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू के साथ मिलकर बनाई थी आवाज-ए-पंजाब पार्टी नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा और परगट सिंह अकाली दल से अलग हुए। दोनों ने मिलकर आवाज-ए-पंजाब पार्टी बनाई। लेकिन यह पार्टी ज्यादा देर तक नहीं चल सकी। उसके बाद दोनों ने कांग्रेस पार्टी में एंट्री की और 2017 का चुनाव लड़ा। परगट सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू पहले एक ही गुट के रहे हैं लेकिन नवजोत सिद्धू से उनकी ज्यादा देर नहीं चली। परगट सिंह की प्रोफाइल जन्म: 5 मार्च 1965 पिता का नाम: गुरदेव सिंह जन्म स्थान: जालंधर खेल: फुल बैक (डिफेंडर) परगट सिंह का राजनीतिक करियर 2012 में पहली बार जालंधर कैंट से अकाली दल के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए 2017 में कांग्रेस ज्वाइन की और जालंधर कैंट से जीतकर विधायक व कैबिनेट मंत्री (शिक्षा और खेल) बने 2022 में तीसरी बार विधायक संगठन में विभिन्न पदों पर ज़िम्मेदारी शिक्षा व खेल सुधारों पर सक्रिय भूमिका पार्टी के भीतर स्पष्टवादिता के लिए पहचान स्पोर्ट्स करियर व उपलब्धियां भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ डिफेंडरों में से एक माना जाता था और उन्होंने फील्ड हॉकी में 'डीप डिफेंस' की अवधारणा का आविष्कार किया था। उन्होंने 1992 के बार्सिलोना और 1996 के अटलांटा ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम की कप्तानी की थी। 1990 में एशियाई कप जीतने वाली टीम के कप्तान भी थे।