जल्दी स्लिम दिखने की चाह में बढ़ रहे प्रयोग, ये सुरक्षित नहीं

शादी का सीजन आते ही जल्दी वजन कम करने, स्लिम दिखने और कपड़ों में फिट आने की चाह में युवा और महिलाएं इस इंटरमिटेंट फास्टिंग (डाइट पैटर्न) को तेजी से अपना रहे हैं। 16:8, 5:2 और अल्टरनेट-डे फास्टिंग इसके सबसे लोकप्रिय मॉडल हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर इसे शरीर की जरूरत और मेडिकल कंडीशन को ध्यान में रखकर किया जाए तो यह वजन नियंत्रण, ब्लोटिंग कम होने और एनर्जी लेवल सुधारने में मददगार है, लेकिन बिना तैयारी या जानकारी के अचानक कड़ा फास्ट रखना कमजोरी, चक्कर, थकान और लो-शुगर जैसी समस्याएं हो रही हैं। जल्दी स्लिम दिखने की चाह में एक्सपेरिमेंट बढ़ा, लेकिन हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं है। एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि शुरुआत 12:12 या 14:10 जैसे सिंपल पैटर्न से करनी चाहिए। पौष्टिक भोजन, पर्याप्त पानी और माइंडफुल ईटिंग के नियम अपनाकर ही इस डाइट से सुरक्षित और लंबे समय तक फायदा लिया जा सकता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग सही प्लानिंग, डॉक्टरी परामर्श के साथ ही फायदेमंद डाइटिशियन सोनिया कोचर ने बताया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, डायबिटीज मरीजों और उन लोगों के लिए सही नहीं जिनके खाने से जुड़े व्यवहारिक विकार रहे हों। शुरुआत हमेशा हल्के तरीके से की जानी चाहिए ताकि शरीर को झटका न लगे। पूरा दिन पानी या बिना कैलोरी वाले ड्रिंक्स लेते रहना जरूरी है और खाने की विंडो में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दालें और प्रोटीन जैसे पौष्टिक विकल्प शामिल करने चाहिए। भूख काबू में रखने को माइंडफुलनेस या हल्का मेडिटेशन मददगार है। इंटरमिटेंट फास्टिंग तभी रिजल्ट देता है जब इसे सही प्लानिंग, हेल्थ सेफ्टी-डॉक्टर की मंजूरी से किया जाए। केस 1: 16:8 मॉडल से वजन में सुधार, लेकिन जंक फूड से रुका असर: 28 साल की फैशन डिजाइनर ने 16:8 फास्टिंग शुरू की। सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक खाने से उसे हल्कापन और एनर्जी महसूस हुई। शुरुआत में वजन कम होना भी शुरू हुआ, लेकिन खाने में पिज्जा, चिप्स और कोल्ड ड्रिंक्स लेने से प्रोग्रेस रुक गई, क्योंकि यह फास्टिंग तभी असरदार है जब खाना हेल्दी हो। केस 2 : जिम और अल्टरनेट-डे फास्टिंग से बढ़ी कमजोरी: एक कॉलेज स्टूडेंट जो रोज जिम करता है, उसने अल्टरनेट-डे फास्टिंग अपनाई। शुरू में वह उत्साहित था, लेकिन वर्कआउट के दौरान उसे लगातार चक्कर, कमजोरी और एनर्जी की कमी महसूस हुई। कुछ ही दिनों में उसने यह मॉडल छोड़ दिया, क्योंकि हर फास्टिंग पैटर्न एक्टिव लाइफ और फिटनेस रूटीन में सही ढंग से फिट नहीं होता। केस 3: डॉक्टर की निगरानी में 5:2 से ब्लोटिंग कम: कार्पोरेट जॉब वाली महिला को लगातार ब्लोटिंग और पेट में भारीपन की समस्या थी। उसने 5:2 फास्टिंग मॉडल अपनाया, जिसमें हफ्ते में दो दिन केवल 500 कैलोरी ली। कुछ ही समय में उसे ब्लोटिंग में राहत और फोकस में सुधार महसूस हुआ। डॉक्टर की निगरानी में यह तरीका सुरक्षित और प्रभावी साबित हुआ। नई डाइट अपनाने से पहले हेल्थ चेकअप जरूरी है।