आर्मी अफसर की पत्नी हूं, लड़ाई लडूंगी और जीतूंगी:मोहाली में कर्नल बाठ की पत्नी बोली- अभी चालान पेश हुआ है, जंग पुलिसकर्मियों के लिए सबक

पुलिस कर्मियों द्वारा कर्नल पुष्पिंदर बाठ से मारपीट मामले में सीबीआई ने चार पुलिस कर्मियों के खिलाफ चालान पेश कर दिया है। वहीं, इस मामले में लड़ाई लड़ने वाली कर्नल की पत्नी जसविंदर कौर का कहना है कि अभी तो चालान पेश हुआ है, जस्टिस मिला नहीं है। मैं इस लड़ाई को लड़ूंगी। मैं एक आर्मी अफसर की पत्नी हूं। मेरा पति कभी बॉर्डर से भागकर नहीं आया है। या तो वह शहीद होकर आते हैं या जीतकर आते हैं। मैं भागूंगी नहीं, यह लड़ाई जीतूंगी। कर्नल ने अपने संघर्ष को लेकर पांच बाते कहीं जो कि इस प्रकार है - यह लड़ाई दो यूनिफॉर्म के बीच नहीं,इंसानियत की लड़ाई है 9 महीने का यह संघर्ष काफी लंबा रहा है। यह दो यूनिफॉर्म के बीच की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह इंसानियत की लड़ाई है। जो आदमी यूनिफॉर्म पहनता है, इसका यह मतलब नहीं होता कि वह इंसानियत भूल जाए। पंजाब के चार-पांच पुलिस वाले, जो यूनिफॉर्म में गुंडे थे, इन्होंने अपने आप को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट समझ लिया। अपने अहंकार में इन्होंने ऐसे बहुत से केस किए हैं, जिन्हें दबाने की कोशिश की गई। इममें जसप्रीत सिंह मर्डर केस भी शामिल है। आज आप देखिए, इन्होंने उन पर इतना दबाव डाला कि वह कोर्ट से अपना केस वापस लेने निकल पड़े। पुलिसकर्मियों के लिए यह केस सबक है मैं कहना चाहती हूं कि यह केस सभी पुलिस कर्मियों के लिए एक सबक है। आपने यूनिफॉर्म लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने के लिए पहनी है, लेकिन लॉ एंड ऑर्डर तोड़ने के लिए नहीं। पंजाब पुलिस को इस यूनिफॉर्म का अहंकार नहीं होना चाहिए। अहंकार तो बॉर्डर पर शहीद होकर आने वाला भी नहीं करता। सेल्यूट नहीं मार सकते तो यूनिफॉर्म के हकदार नहीं आपने यूनिफॉर्म लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने के लिए पहनी है। आप ग्रेड-दो अफसर होकर ग्रेड-वन अफसर पर हाथ उठाते हो और सैल्यूट नहीं मार सकते, तो आप ऐसी यूनिफॉर्म पहनने के हकदार नहीं हो। मैंने यह लड़ाई इसलिए लड़ी है क्योंकि पंजाब में पुलिस द्वारा बहुत ज़्यादतियां हो रहीं हैं। कर्नल साहब के केस के बाद तीन-चार महीने बहुत ठंड पड़ गई थी, लेकिन फिर वही स्थिति बन गई। इनके एनकाउंटर खत्म नहीं होते हैं। यह सोचते है कि हम रब है हर एक बेटी या बेटे को उठा लेते हैं। इनके लिए इंसान की जान की कोई वैल्यू नहीं है। इन्हें कोई एहसास नहीं है। इन्हें किसी की ज़िंदगी लेने में कोई दुख नहीं होता। आप मानोगे नहीं, मैं भी एक मां हूं। जब इन्हें डिपार्टमेंटल सजा मिल गई थी, मैं इन्हें माफ कर सकती थी। लेकिन मैंने इन्हें इसलिए माफ नहीं किया क्योंकि इन्हें अपनी गलती का एहसास नहीं था। इनके अंदर अहंकार था। यह सोचते थे कि हम रब हैं, हम जो चाहें कर सकते हैं, हमें कोई हाथ नहीं डाल सकता। मां जब खड़ी होती है तो शेरनी बन जाती है जब एक मां अपने बच्चे के लिए खड़ी होती है, तो वह शेरनी बन जाती है। वहीं उन्होंने कहा कि जिन धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज हुई थी, उन्हीं धाराओं के तहत चालान पेश हुआ है। कुल आठ लोग थे, जबकि 12 लोगों के नाम एसएसपी नानक सिंह ने डाले थे। हमारी तरफ से सात या आठ लोग थे। यह संघर्ष 9 महीने का हो, 9 साल का हो या उम्र भर का हो, लेकिन सिस्टम को ठीक करने की जिम्मेदारी पंजाबवासियों की है। आज मैं खड़ी हुई हूं, कल दस और माताएं खड़ी होंगी, तभी हम पंजाब को बचा पाएंगे। मैं एसएसपी वरुण शर्मा और स्पेशल डीजीपी अर्पित शुक्ला का धन्यवाद करती हूं, जिन्होंने मेरा साथ दिया। कर्नल से मारपीट, उसके आगे क्या हुआ, पूरी कहानी पढ़ें... बीती 13 मार्च को एक ढाबे पर कर्नल बाठ अपने बेटे व परिवार के साथ नास्ता करने के लिए रुके थे। वहां आए पुलिस कर्मियों से गाड़ी हटाने को लेकर विवाद हुआ था। पुलिस ने कर्नल से बद्तमीजी से बात की तो उन्होंने लैंग्वेज सुधारने को कहा। इस पर पुलिस कर्मियों ने कर्नल और उनके बेटे को बुरी तरह से पीटा।-- पटियाला में ढाबे पर रुके कर्नल, मैगी का ऑर्डर दिया: 13 मार्च को रात सवा 12 बजे पटियाला के राजिंदरा अस्पताल के गेट के पास एक सिविक कार रुकती है। इसमें सवार सेना में कर्नल पुष्पिंदर बाठ और उनका बेटा अंगद बाठ उतरते हैं और ढाबे में मैगी बनाने का ऑर्डर देते हैं। रॉन्ग साइड से आई पुलिस गाड़ी, वर्दी में थे पुलिसकर्मी: पुलिस की गाड़ी रुकी, दोनों अपने ऑर्डर का वेट कर रहे होते हैं कि इतने में रॉन्ग साइड से पुलिस की गाड़ी आकर इनके पास रुकती है। उसमें से 7 से 8 मुलाजिम उतरते हैं जो वर्दी में नहीं थे। आते ही कहते हैं कि गाड़ी साइड में करो। लैंग्वेज सुधारने को कहा तो मुक्का मारा: कर्नल बाठ के अनुसार 1 आदमी ने पंजाबी में कहा-गड्‌डी साइड करो नईं तां टंग्गा चका दवांगे (गाड़ी साइड करो नहीं तो उल्टा टांग देंगे)। मैंने उन्हें कहा कि गाड़ी साइड कर देते हैं, लेकिन अपनी लैंग्वेज सुधारो तो उसने मुंह पर मुक्का जड़ दिया। जमीन पर गिरे कर्नल, पुलिसकर्मियों ने लातें मारीं: कर्नल ने चश्मा पहना हुआ था जो मुक्का लगने से टूट गया। चश्मे का कुछ हिस्सा कर्नल की नाक पर लग गया। कर्नल वहां पर बेहोश होकर गिर गए। जैसे ही कर्नल गिरे, सभी पुलिस मुलाजिमों ने उन्हें लातें मारनी शुरू कर दीं। बेटा बचाने आया तो उसकी डंडे से पिटाई कर दी: जब उनका बेटा अंगद बचाने आया तो आरोपियों ने उसकी भी मुक्कों और डंडों से पिटाई की। बेटे ने किसी तरह पिता को गाड़ी में बैठाया। इसके बाद आरोपियों ने फिर अंगद को पीटना शुरू कर दिया। होश में आने पर कर्नल ने अपना सर्विस आईडी कार्ड दिखाया।