आनंदपुर साहिब में अलौकिक दशमेश पैदल मार्च:कैबिनेट मंत्री हरजोत बैंस पहुंचे, माथा टेका, बोले- गुरु साहिब के आदर्शों को आत्मसात करें युवा
- Admin Admin
- Dec 21, 2025
किला छोड़ दिवस के अवसर पर हर वर्ष की तरह इस बार भी अलौकिक दशमेश पैदल मार्च श्रद्धा, अनुशासन और ऐतिहासिक चेतना के साथ श्री आनंदपुर साहिब से आरंभ हुआ। यह पैदल मार्च दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा छठीं और सातवीं पोह की रात को श्री आनंदपुर साहिब का किला छोड़ने की ऐतिहासिक घटना की स्मृति में आयोजित किया जाता है। कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस पहुंचे और माथा टेका। उन्होंने कहा कि 6 और 7 पोह की वह रात सिख इतिहास के सबसे करुण और बलिदानपूर्ण अध्यायों में से एक है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे शहीदी पखवाड़े के दौरान ऐतिहासिक स्थलों से जुड़कर गुरु साहिब के आदर्शों को आत्मसात करें। श्री गुरुद्वारा मेहंदीयाना साहिब में होगी संपन्न यह यात्रा विभिन्न पड़ावों से गुजरते हुए अंत में गुरुद्वारा मेहंदीयाना साहिब में संपन्न होगी। धार्मिक परंपरा के अनुसार, गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख संगतों के आग्रह पर छठीं और सातवीं पोह की आधी रात को किला आनंदगढ़ साहिब और आनंदपुर शहर को अलविदा कहा था। उसी ऐतिहासिक स्मृति को जीवंत रखने के लिए हर वर्ष किला छोड़ दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और किला आनंदगढ़ साहिब प्रबंधन द्वारा धार्मिक समागम आयोजित किया गया। वैराग्य और भावुकता का वातावरण बना पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हजूरी और पंज प्यारों की अगुवाई में यह पैदल मार्च तख्त श्री केसगढ़ साहिब से अरदास के उपरांत ‘सतनाम वाहेगुरु’ के जाप के साथ आरंभ हुआ। बड़ी संख्या में स्थानीय व बाहर से आई संगतों ने इसमें भाग लिया। पूरे मार्ग में वैराग्य और भावुकता का वातावरण बना रहा। इस अवसर पर एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि 321 वर्ष बीत जाने के बावजूद खालसा पंथ आज भी उन ऐतिहासिक क्षणों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करता है, जब आनंदपुर साहिब के किलों की लगभग आठ माह तक घेराबंदी रही। उन्होंने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1706 में गुरु ग्रंथ साहिब जी को संपूर्णता प्रदान की और 1708 में गुरता गद्दी गुरु ग्रंथ साहिब जी को सौंपकर सिख पंथ को शाश्वत मार्ग दिखाया।



