रोपड़ में अटका सीनियर सिटीजन कॉम्प्लेक्स प्रस्ताव:नप की बैठक में विधायक-कांग्रेस पार्षद आमने-सामने, अध्यक्ष बेबस

रूपनगर (रोपड़) नगर परिषद की विशेष बैठक वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीनियर सिटीजन कॉम्प्लेक्स के निर्माण का प्रस्ताव अधूरे एजेंडे के चलते हंगामे की भेंट चढ़ गया। प्रदेश सरकार ने नप को गुरु तेगबहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष में 50 लाख की ग्रांट दी थी। इसमें सीनियर सिटीजन कॉम्प्लेक्स भी शामिल है। नगर परिषद ने इसके निर्माण का प्रस्ताव भी तैयार कर लिया था, लेकिन नप की बैठक में इसको लेकर हंगामा हुआ। जनहित के इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर राजनीतिक खींचतान के कारण बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका। शहरवासियों को अब भी इस परियोजना पर किसी फैसले का इंतजार है। अध्यक्ष अशोक कुमार वाहि का कहना है कि सभी से मिलकर समाधान निकाला जाएगा। बैठक में दोनों पक्षों में जमकर नोकझोंक नगर परिषद की बैठक में जब इस मुद्दे को रखा गया तो कांग्रेस सहित विपक्ष के पार्षदों ने इसका एजेंडा भेजने की प्रक्रिया पर सवाल उठाया। इस मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। बैठक के दौरान विधायक दिनेश चड्डा और कांग्रेस पार्षदों के बीच जमकर नोकझोंक हुई। नगर परिषद अध्यक्ष अशोक कुमार वाहि सदन में असहज और बेबस नजर आए। इसमें कोई सहमति नहीं बन पाई। आरोप- अधूरा एजेंडा भेजा गया अध्यक्ष ने यहां तक कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है, जैसे वे इस बैठक की अध्यक्षता ही नहीं कर रहे हों। सीनियर सिटीजन काउंसिल के सदस्य भी बैठक में मौजूद थे। उन्होंने पार्षदों से प्रस्ताव पारित करने की मांग की और इसे अपनी लंबे समय से लंबित मांग बताया। कांग्रेस पार्षदों ने आरोप लगाया कि बैठक का एजेंडा अधूरा भेजा गया था, जिसके कारण उस पर सार्थक चर्चा संभव नहीं थी। विधायक ने कहा- यह घटिया राजनीति विधायक दिनेश चड्डा ने बताया कि श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष के अवसर पर सरकार से मिली 50 लाख रुपए की ग्रांट में सीनियर सिटीजन कॉम्प्लेक्स का निर्माण भी शामिल है। उन्होंने इस जनहितकारी परियोजना का विरोध करने को “घटिया राजनीति” करार दिया। कांग्रेस पार्षद बोले- कॉम्प्लेक्स का विरोध नहीं, प्रक्रिया पर सवाल कांग्रेस पार्षद राजेश कुमार ने का कहना है कि पार्टी सीनियर सिटीजन कॉम्प्लेक्स के खिलाफ नहीं है। उनकी आपत्ति केवल एजेंडा भेजने की प्रक्रिया और अधूरी जानकारी को लेकर थी। उन्होंने कहा कि अधूरी जानकारी के आधार पर किसी प्रस्ताव पर तुरंत निर्णय लेना तानाशाही रवैया है।