एसआईआर : तीन बूथों में एक भी ‘सेल्फ’ वोटर नहीं मिला, निर्वाचन आयोग ने समीक्षा का आदेश दिया

कोलकाता, 4 दिसंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में चल रही मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया यानी एसआईआर के दौरान निर्वाचन आयोग को ऐसे तीन बूथ मिले हैं, जहां एक भी ‘सेल्फ’ वोटर नहीं है। एसआईआर के नियमों के अनुसार, किसी वोटर को ‘सेल्फ’ तब माना जाता है जब उसका नाम वर्ष 2002 की मतदाता सूची में मौजूद हो। यदि उसके माता-पिता के नाम वर्ष 2002 की मतदाता सूची में हों, तो ऐसे वोटर को ‘प्रोजनी’ माना जाता है।

निर्वाचन आयोग ने इसे लगभग असंभव परिस्थिति मानते हुए तीनों बूथों की नए सिरे से जांच का आदेश दिया है। मुख्य चुनाव अधिकारी के दफ्तर से मिली जानकारी के अनुसार, इन तीन बूथों में सभी वोटर ‘प्रोजनी’ श्रेणी में आए हैं और कोई भी वोटर ‘सेल्फ’ श्रेणी में नहीं पाया गया है।

पहला मामला कूचबिहार ज़िले के दिनहाटा विधानसभा क्षेत्र के पार्ट नंबर 110 का है, जहां कुल 782 वोटरों में एक भी ‘सेल्फ’ वोटर नहीं है। दूसरा मामला हुगली ज़िले के पांडुआ विधानसभा क्षेत्र के पार्ट नंबर 53 का है, जहां सभी 668 वोटर ‘प्रोजनी’ पाए गए। तीसरा मामला दक्षिण 24 परगना ज़िले के कुलतली विधानसभा क्षेत्र के पार्ट नंबर 48 का है, जहां 768 में से एक भी वोटर ‘सेल्फ’ श्रेणी में नहीं मिला।

एसआईआर के नियमों के अनुसार, जिन वोटरों के नाम या उनके माता-पिता के नाम वर्ष 2002 की मतदाता सूची में हों, उन्हें वैध वोटर माना जाता है और उन्हें किसी दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, आयोग को यह असंगत लगा कि किसी पूरे बूथ में एक भी ‘सेल्फ’ वोटर मौजूद न हो।

इसी वजह से आयोग ने तीनों बूथों की जांच फिर से कराने का निर्देश दिया है। मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, यदि जांच में बूथ स्तर अधिकारी, चुनाव पंजीकरण अधिकारी या सहायक पंजीकरण अधिकारी की किसी तरह की लापरवाही या गड़बड़ी सामने आती है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इसी बीच एक अन्य जानकारी भी सामने आई है कि राज्य में ऐसे बूथों की संख्या, जहां एक भी मृत वोटर, डुप्लिकेट वोटर या स्थानांतरित वोटर नहीं पाया गया था, अचानक भारी बदलाव के बाद अब केवल 29 रह गई है। सोमवार की शाम इनकी संख्या 2,208 बताई गई थी, जो मंगलवार की शाम घटकर 480 हुई और बुधवार की शाम यह और कम होकर 29 पर पहुंच गई।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर