गोबर खाद व फसल अवशेष एक साथ मिलाने पर मृदा की जीवांश क्षमता में होती है बढ़ोत्तरी : मृदा वैज्ञानिक

कानपुर, 10 दिसंबर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में कम्पनी बाग़ स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर ने फसल अवशेष योजना के तहत स्कूल स्तरीय विद्यार्थी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम अयोध्या सिंह सार्वजनिक इंटर कॉलेज काशीपुर में आयोजित किया गया। यह जानकारी बुधवार को केंद्र के दलीप नगर प्रभारी डॉ अजय कुमार सिंह ने दी।

विज्ञान केंद्र दलीप नगर के प्रभारी डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम में 140 से भी अधिक छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। साथ ही कार्यक्रम में मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान भी उपस्थित रहे।

मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने बताया कि किसान फसल अवशेषों में आग लगा देते हैं। जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। साथ ही साथ मृदा में पोषक तत्वों का नुकसान होता है।उन्होंने छात्र-छात्राओं को जागरूक करते हुए बताया कि पराली को खेत में मिला देने से मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।

डॉ खान ने बताया कि खेत के अंदर जीवांश की मात्रा कम होने के कारण सब्जियों, फलों एवं अन्य फसलों में स्वाद व गुणवत्ता की बहुत कमी आ जाती है जो कि फसल अवशेषों की खाद को मृदा में मिलाने से बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि पशुओं द्वारा गोबर की खाद को मिलाने व फसल अवशेषों को मिलाने से मृदा में जीवांश क्षमता बढ़ती है।

गृह वैज्ञानिक डॉक्टर निमिषा अवस्थी ने फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित नवीन कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने फसल अवशेष प्रबंधन पर निबंध लेखन, चित्रकला एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य कौशलेंद्र बाजपेई ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया। साथ ही छात्र छात्राओं से कहा कि अपने अभिभावकों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जानकारी अवश्य दें।

इस मौके पर विद्यालय के शिक्षक हरनाम सिंह गौर, रघुनाथ सिंह तोमर, धर्मेंद्र सिंह सेंगर एवं महेश चंद्र सहित कई अध्यापक एवं अन्य विद्यालय स्टाफ उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद