विपक्ष के वाकआउट के बीच रेरा संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित

शिमला, 03 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार को हिमाचल प्रदेश भू-संपदा (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक 2025 विपक्ष की गैरमौजूदगी में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक में रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) के अध्यक्ष और सदस्यों के चयन के लिए गठित समिति में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जगह राज्य के मुख्य सचिव को समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है। विधेयक पारित होने के बाद इसे अब राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद मंजूरी मिलने पर यह प्रदेश में लागू होगा।

विधेयक पारित होने से पहले विपक्षी भाजपा सदस्यों ने विरोध जताते हुए सदन से वॉकआउट किया। भाजपा ने सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की थी। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के रणधीर शर्मा, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि रेरा एक केंद्रीय कानून है और इसमें बदलाव करना प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।

रणधीर शर्मा ने आरोप लगाया कि कानून में संशोधन किसी व्यक्ति विशेष के लिए किया जा रहा है, जो उचित नहीं है। वहीं जयराम ठाकुर ने कहा कि यह विषय समवर्ती सूची में आता है और सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में ट्रिब्यूनल से जुड़े एक मामले में स्पष्ट किया है कि संवैधानिक संस्थाओं में हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने सरकार से विधेयक वापिस लेने की मांग की। त्रिलोक जम्वाल ने सवाल उठाया कि सरकार रेरा चयन समिति से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को क्यों हटाना चाहती है।

समवर्ती सूची में संशोधन राज्य सरकार का अधिकार : मुख्यमंत्री

चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि रेरा का अध्यक्ष सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठित कोई भी व्यक्ति बन सकता है। उन्होंने कहा कि समवर्ती सूची से संबंधित विषयों में संशोधन करने का अधिकार राज्य सरकार को प्राप्त है और पूर्व में भी भाजपा सरकार एनडीपीएस और फैक्ट्री एक्ट में संशोधन कर चुकी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रेरा से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नहीं आया है और सरकार हाईकोर्ट तथा न्यायपालिका का पूरा सम्मान करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से उछाल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव और सचिवों पर सवाल उठाकर उनकी निष्ठा पर अनावश्यक संदेह पैदा कर रही है।

वहीं, नगर एवं ग्रामीण नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने भी चर्चा में हस्तक्षेप किया और कहा कि विपक्ष इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए हवा दे रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा यह बताये कि मुख्य सचिव को रेरा चयन समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने पर उसे आपत्ति क्यों है, जबकि भाजपा सरकार के समय भी मुख्य सचिवों को रेरा से जुड़ी जिम्मेदारियां दी गई थीं। उन्होंने कहा कि भाजपा अफसरशाही की प्रतिष्ठा पर भी सवाल उठा रही है, जो सही नहीं है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा