दिल्ली ब्लास्ट में जांच के घेरे में आई अल-फलाह विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा खतरे में
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- Dec 04, 2025
फरीदाबाद, 4 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली में 10 नवम्बर को हुए भीषण विस्फोट में 15 लोगों की मौत के बाद फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय जांच एजेंसियों के घेरे में आ चुका है। विस्फोट से जुड़े आतंकी मॉड्यूल का केंद्र बिंदु बनने के बाद अब विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा भी खतरे में है। इस संबंध में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग (एनसीएमईआई) में आज, 4 दिसम्बर को दिल्ली मुख्यालय में महत्वपूर्ण सुनवाई होगी।
आयोग ने 24 नवम्बर को विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर पूछा था कि जब उसके चिकित्सकों व प्रबंधन से जुड़े लोग विस्फोट मामले में जांच का सामना कर रहे हैं, तो उसका अल्पसंख्यक दर्जा क्यों न समाप्त कर दिया जाए। यह नोटिस राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के 12 नवम्बर के उस पत्र के बाद जारी किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा दी गई मान्यता संबंधी जानकारी पर सवाल उठाए गए थे। आयोग ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव तथा हरियाणा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव दोनों को सुनवाई में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। आयोग यह जांच करेगा कि क्या विश्वविद्यालय का संचालन अभी भी उसी समुदाय द्वारा हो रहा है जिसके लिए इसे अल्पसंख्यक दर्जा प्रदान किया गया था, या प्रबंधन और स्वामित्व में कोई बदलाव हुआ है। इसी बीच विश्वविद्यालय की सदस्यता भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा निलंबित की जा चुकी है।
इस मामले में विश्वविद्यालय संचालित करने वाले ट्रस्ट से ट्रस्ट विलेख, नियुक्ति प्रक्रिया, प्रशासकीय बैठकों के दस्तावेज, प्रवेश और भर्ती से जुड़े आँकड़े, तीन वर्षों के बैंक लेन–देन तथा धनराशि से जुड़े विस्तृत अभिलेख मांगे गए हैं। शिक्षा विभाग को भी आज अपनी सत्यापन रिपोर्ट आयोग में प्रस्तुत करनी है, जिसमें अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने के बाद हुए निरीक्षण और विभागीय पत्राचार का पूरा विवरण शामिल होगा। यदि विश्वविद्यालय ये दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाता है, तो आयोग कड़ी कार्रवाई कर सकता है। ट्रस्ट के अध्यक्ष जावेद अहमद सिद्दीकी 18 नवम्बर से प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं। उन पर धन शोधन और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप हैं। विदेशों से प्राप्त धनराशि और उससे जुड़े लेन–देन की जांच भी तेज हो गई है।
जांच में यह भी सामने आया है कि विश्वविद्यालय ने सात वर्षों में लगभग 415 करोड़ रुपये की आय अर्जित की। इससे जुड़ी 9 फर्जी कंपनियां मिली हैं, जिनसे एक ही स्थायी खाता संख्या का उपयोग कर बड़े पैमाने पर लेन–देन किए गए। 20 एकड़ में शुरू हुई यह संस्था अब 78 एकड़ तक फैल चुकी है। एजेंसियों के अनुसार विश्वविद्यालय कई वर्षों तक बिना मान्यता के चलता रहा, फिर भी छात्रों से पूरी फीस ली गई, जिसे धोखाधड़ी माना जा रहा है। शुक्रवार काे हाेने वाली सुनवाई में यह तय होगा कि अल-फलाह विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा जारी रहेगा या इसके खिलाफ आगे की कार्रवाई शुरू होगी। सभी की निगाहें आयोग के निर्णय पर टिकी हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / गुरुदत्त गर्ग



