श्रीमद्भागवत कथा : कृष्ण जन्म का अलौकिक वर्णन सुनकर श्रोता हुए भावविभोर

औरैया, 01 दिसम्बर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के अजीतमल तहसील क्षेत्र के ग्राम हैदरपुर में पक्का तालाब के निकट चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस में महाकाल की नगरी उज्जैन से पधारे महामृत्युंजय पीठाधीश्वर स्वामी प्रणव पुरी जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण जन्म का अद्भुत और हृदयस्पर्शी वर्णन किया। उनके दिव्य वचनों ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर भक्ति रस में डूबो दिया।

स्वामी जी ने कहा कि आधुनिकता और भौतिकता की अंधी दौड़ में मनुष्य मानसिक शांति खो बैठा है, जो पतन का मूल कारण बन रहा है। उन्होंने कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग सुनाते हुए बताया कि जब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ जाता है, तब भगवान स्वयं अवतार लेकर धर्म की पुनः स्थापना करते हैं। कंस के अत्याचार, देवकी-वसुदेव की पीड़ा, भादों की काली रात में भगवान कृष्ण का दिव्य जन्म और वासुदेव द्वारा शिशु कृष्ण को यमुना पार कर गोकुल ले जाने जैसे प्रसंगों ने वातावरण को भक्तिमय कर दिया।

गोकुल में नन्दोत्सव, यशोदा के आँगन में बजते बधाई गीत और ब्राह्मणों को दान का वर्णन सुनकर श्रद्धालु आनंद से अभिभूत हो उठे। इससे पूर्व स्वामी जी ने ध्रुव, भरत, हिरण्यकश्यप-प्रह्लाद आदि कथाओं के माध्यम से समाज में बढ़ रही विघटनकारी प्रवृत्तियों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वोट की राजनीति समाज को बांट रही है, जो राष्ट्रहित में उचित नहीं।

महामंडलेश्वर ने युवाओं से आग्रह किया कि भक्ति और सद्मार्ग की भावना किशोरावस्था से ही विकसित करनी चाहिए। कथा में परीक्षित श्रीमती विमला, सुरेश चंद्र त्रिपाठी, त्रिपाठी परिवार सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। महाकाल की नगरी से पधारी साध्वी भगवती दास जी ने कहा कि सनातन धर्म के संरक्षण के लिए भागवत कथा का श्रवण आवश्यक है, क्योंकि यही जीवन को सद्मार्ग की ओर प्रेरित करती है।

हिन्दुस्थान समाचार / सुनील कुमार