कैप्टन की सलाह पर पंजाब की सियासत गरमाई:फाइनेंस मंत्री बाेले - अमरिंदर दल बदलने में माहिर, सभी मिलकर सत्ता कब्जाना चाहते हैं

कैप्टन अमरिंदर सिंह के 2027 विधानसभा चुनाव में भाजपा और अकाली दल के साथ जाने की सलाह पर पंजाब की सियासत गरमा गई है। इसी मामले में आज आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता व फाइनेंस मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने कहा कि चाहे कैप्टन अमरिंदर सिंह हों या फिर उनके रिश्तेदार सिमरनजीत सिंह मान या फिर सुखबीर सिंह बादल, यह सारे मिले हुए हैं। उन्होंने कहा कि कैप्टन दल बदलने में माहिर हैं। जब वह सत्ता में थे तो बतौर बीजेपी एजेंट उन्होंने काम किया है। वहीं, अब वह मिलकर सत्ता पर कब्जा करना चाहते हैं। अकाली दल, बीजेपी का लव अफेयर सामने आ गया है। वैसे तो सारे जानते हैं कि सारे चोर मिले हैं। लेकिन पंजाब के तीन करोड़ लोग इनके दिए जख्मों को नहीं भूलेंगे। अब फाइनेंस मंत्री हरपाल सिंह चीमा की बात को 7 प्वाइंट में जानिए - 1. हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कैप्टन कांग्रेस पार्टी से दो बार बतौर मुख्यमंत्री रहे हैं। उनके साढ़ू सिमरनजीत सिंह मान हों या फिर सुखबीर बादल हों। यह सारे वे राजनेता हैं, जिन्होंने 25 से 30 साल तक अपनी राजनीतिक सेवाएं निभाई हैं। पिछले 25 साल की बात करें 2002 से 2007 तक कांग्रेस की सरकार, 2022 तक यह सत्ता में रहे हैं। 2.पंजाब के 2002 से 2022 तक के राजनीतिक रिकॉर्ड देखें तो उसमें दो परिवारों ने राज किया। एक परिवार सरदार प्रकाश सिंह बादल का और दूसरे परिवार की अगुवाई कैप्टन अमरिंदर सिंह कर रहे थे। जब कैप्टन साहब को हटाया गया तो उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली। जब विधानसभा 2017 में आम आदमी पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा, हम चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। उस समय हम 2022 तक कहते थे कि वह बीजेपी एजेंट के तौर पर काम करते थे। 3.चीमा ने आरोप लगाया कि राज्य की सेवा से ज़्यादा वह बीजेपी की सेवाएं देते थे। क्योंकि इसके बाद उनकी विदेश यात्राएं सुरक्षित नहीं रह सकती थीं। अगर वह बतौर बीजेपी के एजेंट के रूप में काम करते थे तो वह बीजेपी के साथ रिश्ता जोड़कर काम कर सकते थे, नहीं तो केंद्रीय एजेंसी उन्हें परमिशन नहीं देती थीं। क्योंकि वह दुश्मन देश से थे। वह सरकार चला रहे थे। 4. मैं देख रहा था कि कैप्टन बयान दे रहे थे कि अकाली भाजपा को इकठ्ठे हो जाना चाहिए। क्योंकि कैप्टन साहिब खुद दल बदलने में माहिर हैं। वह पहले अकाली दल, फिर कांग्रेस, फिर कुछ समय के लिए अपनी पार्टी भी बनाई। अब भाजपा में हैं। फिर उन्होंने अपनी पार्टी भी बनाई है। फिर भी बीजेपी में चल रहे हैं। वह दल बदलने के माहिर हैं। 5. कैप्टन व बादल परिवारों ने पंजाब को लूटा है। हमारी धार्मिक आज़ादी पर हमला हुआ। पहले पूरे बादल परिवार पर 40 हजार करोड़ रुपए आमदनी अधिक होने के केस बनाए। कैप्टन साहब ने अपनी सरकार के समय कैसे जांच को डिले किया। समय से चार्जशीट फाइल नहीं हुई। 2007 में अकाली दल–बीजेपी की सरकार थी। जांच अधिकारी से लेकर सारे गवाह मुकर गए। बादल परिवार को बचाने के लिए कैप्टन साहब ने किया। अदालत ने मजबूर होकर बरी किया। फिर जश्न मनाए गए। 6. 2007 से 2017 तक शिरोमणि बादल पर सत्ता का नशा चढ़ गया। 2015 से 2017 में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी बढ़ गई। 2015 में कॉटन पर सफेद मक्खी का हमला हुआ। उस समय लोगों का ध्यान बदलने के लिए धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी हुई। 2017 में कांग्रेस की कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार आई, जिन्होंने बेअदबी के आरोपियों को सजा देने की बात कही। 7. इसके बाद चुनाव जीत गए। लेकिन जब बेअदबी के आरोपियों पर एक्शन नहीं हुआ तो पार्टी ने कैप्टन को हटा दिया। फिर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया। वह पावरलेस मुख्यमंत्री थे। उसी दौरान सिटी सेंटर घोटाले की कैंसलेशन रिपोर्ट दाखिल हुई। किस तरह बादल माफिया, रेत माफिया, शराब माफिया पहली बार 'माफिया' शब्द आया। वहीं, सिमनरजीत सिंह मान जो खालिस्तान के समर्थक है। वह अब कह रहे सभी पंथक दलों को एक हो जाना चाहिए।