चंडीगढ़ हाईकोर्ट बोला– PG से पहले सालभर नौकरी अनिवार्य:याचिका खारिज, नॉन-इंसेंटिव कैटेगरी में सेवा की शर्त बेमानी, फायदे लेने की आदत को रोकना जरूरी
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- Dec 08, 2025
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की उस नीति को सही ठहराया है, जिसमें पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज़ (PCMS) के डॉक्टरों के लिए पोस्टग्रेजुएट (PG) कोर्स में दाखिले से पहले कम से कम एक साल की सेवा अनिवार्य की गई है। कोर्ट ने डॉक्टर जानवी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार की यह नीति तर्कहीन नहीं है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। डॉक्टरों से कुछ समय सेवा लेने में कोई बुराई नहीं जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रोहित कपूर की बेंच ने कहा कि डॉक्टरों की पढ़ाई और योग्यता बढ़ाना जरूर जरूरी है, लेकिन सरकार अगर उनसे कुछ समय काम करवाना चाहती है तो यह बिल्कुल ठीक और समझदारी वाला नियम है। बेंच ने कहा—“यह राज्य की नीति का हिस्सा है कि डॉक्टरों से न्यूनतम सेवा अवधि ली जाए। यह नीति अव्यावहारिक या अनुचित नहीं लगती, इसलिए अदालत इसमें दखल देने को उचित नहीं मानती।” नॉन-इंसेंटिव कैटेगरी में सेवा की शर्त बेमानी याचिका दायर करने वाली डॉक्टर हाल ही में पीसीएमएस में नियुक्त हुई थीं। एमबीबीएस पूरा करने के बाद उन्होंने करीब एक माह सेवा की थी। इसके बाद उन्होंने पीजी पढ़ाई के लिए छुट्टी की मांग की, लेकिन विभाग ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि डॉक्टर ने अभी एक साल की सेवा पूरी नहीं की है। इस पर वरिष्ठ वकील डी.एस. पटवालिया ने अदालत में तर्क दिया कि डॉक्टर नॉन-इंसेंटिव कैटेगरी में आवेदन कर रही थीं, जहां न वेतन मिलता है और न ही ग्रामीण सेवा के अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं। ऐसे में एक साल सेवा को अनिवार्य बनाना बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य खुद कहता है कि उसका उद्देश्य डॉक्टरों की योग्यता बढ़ाना है, इसलिए पढ़ाई पर रोक लगाना उचित नहीं, बल्कि मनमाना कदम है। फायदे लेने की आदत को रोकना जरूरी सरकारी वकील मनिंदर सिंह गर्चा ने अदालत में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि वर्ष 2019 के आदेश के बाद एक साल सेवा की अनिवार्यता इसलिए लागू की गई थी ताकि डॉक्टर कम से कम कुछ समय विभाग में काम करें। सरकार ने बताया कि पहले कई डॉक्टर कुछ दिन या कुछ हफ्ते काम करके ही पीजी करने चले जाते थे। इसके बावजूद डॉक्टर सरकारी नौकरी के कई फायदे—जैसे पद सुरक्षित रहना, वरिष्ठता बढ़ना और सेवा जारी मानी जाना—फिर भी लेते रहते थे।सरकार के अनुसार, इसी वजह से एक साल सेवा अनिवार्य करना जरूरी हो गया। सरकार ने स्पष्ट किया कि यह नियम इंसेंटिव और नॉन-इंसेंटिव दोनों कैटेगरी पर समान रूप से लागू है और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए यह शर्त बेहद जरूरी है। नॉन-इंसेंटिव कैटेगरी में सेवा के लाभ जारी हाईकोर्ट की बेंच ने माना कि भले ही नॉन-इंसेंटिव कैटेगरी में डॉक्टरों को वेतन नहीं मिलता, लेकिन उन्हें कई महत्वपूर्ण लाभ मिलते रहते हैं। इनमें लीन (lien), सेवा की निरंतरता और सिनियोरिटी जैसे फायदे शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि जब इतने लाभ जारी रहते हैं, तो राज्य द्वारा पीजी में दाखिले से पहले कम से कम एक साल सेवा लेना पूरी तरह उचित और तार्किक फैसला है। कोर्ट ने यह भी कहा कि बिना इस नियम के, डॉक्टर केवल कुछ दिनों की सेवा करके ही तीन साल पीजी करने चले जाएंगे और फिर भी सभी सेवा लाभ लेते रहेंगे। इस मामले में याचिकाकर्ता ने सिर्फ एक महीने काम किया था।



