चंडीगढ़ में मेयर चुनाव की सियासत गरमाई:कांग्रेस अध्यक्ष बोले—जरूरत पड़ी तो साथ आएंगे, भाजपा को सत्ता से दूर रखना प्राथमिकता

चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव इस बार रोचक बनता जा रहा है। जहां पूरे देश में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिल रही है, वहीं चंडीगढ़ में भारतीय जनता पार्टी को मेयर की कुर्सी से दूर रखने के लिए दोनों पार्टियां एक साथ आने के लिए तैयार नजर आ रही हैं। इसका खुलासा चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष हरमिंदर सिंह लक्की ने खुद किया है। मेयर चुनाव और 2026 नगर निगम चुनाव को लेकर लक्की ने कहा कि कांग्रेस हर विकल्प पर विचार कर रही है। प्राथमिकता साफ है—भाजपा को सत्ता से दूर रखना। इसके लिए जहां जरूरत होगी, साथ भी आया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चंडीगढ़ की राजनीतिक परिस्थितियां पंजाब से अलग हैं और यहां अलग रणनीति तय होगी। लक्की ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ मेयर की कुर्सी की नहीं है, बल्कि पूरे चंडीगढ़ के गवर्नेंस मॉडल को बदलने की है। अफसरशाही पर अंकुश तभी लगेगा, जब चुने हुए प्रतिनिधियों को स्थायित्व मिलेगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कॉलोनियों का मालिकाना हक, हाउसिंग बोर्ड नोटिस, इंडस्ट्रियल एरिया का फ्रीहोल्ड, एमएसएमई और शेयर-वाइज रजिस्ट्री जैसे मुद्दे 25–30 साल से लटके हुए हैं। इन मुद्दों को पहली बार गंभीरता से संसद में चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने उठाया। भाजपा 10 साल तक सत्ता में रही, तब ये मुद्दे क्यों याद नहीं आए? बचा एमपी फंड आया जनता के काम कांग्रेस अध्यक्ष लक्की ने एमपी फंड को लेकर कहा कि पूर्व सांसद के कार्यकाल का करीब सवा से डेढ़ करोड़ रुपए का फंड खर्च ही नहीं हुआ था, जिसे अब नियमों के तहत इस्तेमाल किया जा रहा है। एमपी फंड लैप्स नहीं होता, आगे ट्रांसफर होता है। अगर भाजपा को शक है तो रिकॉर्ड चेक कर ले। आगे लक्की ने भाजपा के ‘वीकली सांसद’ वाले तंज पर कहा कि पहले महीनों तक सांसद शहर नहीं आते थे, तब भाजपा चुप थी। आज मनीष तिवारी संसद के साथ-साथ शहर में लगातार सक्रिय हैं। विदेश नीति और जियो-पॉलिटिक्स पर उनकी पकड़ देश की ताकत है, कमजोरी नहीं। उन्होंने कहा कि सांसद का काम सवाल उठाना है, समाधान करना सरकार का। केंद्र में भाजपा की सरकार है, तो जवाबदेही भी उसी की है। सवाल उठाने पर कांग्रेस को घेरा जाता है, लेकिन समाधान न होने पर सरकार बच निकलती है। निगम में कांग्रेस की स्थिति क्या है? चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं। मेयर चुनाव में चंडीगढ़ सांसद का वोट भी मान्य होता है। इसके अलावा 9 पार्षद नॉमिनेटेड होते हैं, जिनके पास वोटिंग राइट्स नहीं हैं। ऐसे में 36 वोटों में से भाजपा के पास 16 और AAP के पास 13 वोटें हैं। कांग्रेस के पास 6 पार्षद और सांसद मनीष तिवारी को मिलाकर कुल 7 वोट हैं। मेयर बनाने के लिए कुल 19 वोट चाहिए। अगर बहुमत का यह आंकड़ा किसी के पास भी नहीं है। ऐसे में कांग्रेस जिसके साथ जाएगी, उसका मेयर बनना तय है। लोभ लालच से अपना मेयर बनवाना चाहती है बीजेपी चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी के अ​ध्यक्ष विजय पाल का कहना है कि बीजेपी किसी भी तरह मेयर की कुर्सी पर कब्जा करना चाह​ती है। 2021 के नगर निगम चुनाव और 2024 के लोक सभा चुनाव में चंडीगढ़ की जनता ने बीजेपी को नकार दिया। अल्पमत में होते हुए उसने तंत्र का इस्तेमाल करके अपना मेयर बनाया है। बीजेपी का आम जनता के हितों से कोई लेना देना नहीं है। वह कुछ विशेष लोगों के लाभ के लिए काम कर रही है। मेयर ने किस तरह से जनता चुने हुए प्रतिनिधियों पर मार्शल से हमले करवाए। 300 फीसदी प्रॉपर्टी टैक्स पढ़ाया। ठेकेदारी में कर्मचारियों को निकाला। बीजेपी को दूर रखने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।