हाउस की बैठक का एजेंडा जारी:​​​​​​​फिर होगी कूडा कलेक्शन MOU और 24X7 पानी सप्लाई पर चर्चा, एजेंडे में शामिल नहीं मनीमाजरा प्रोजेक्ट

नगर निगम की बेहद अहम मीटिंग 30 नवंबर को होने जा रही है। इसका एजेंडा नगर निगम की तरफ से जारी किया किया गया है। एजेंडे में चर्चा के लिए दस प्रस्ताव रखे गए हैं। जिसमें अहम शहर से कूडा उठाने वाली कंपनी से होने वाले MOU में कुछ तबदीलियों और शहर में चौबीस घंटे पीने लायक पानी की सप्लाई के प्रोजेक्ट पर विचार विमर्श है, करना शामिल हैं। यह दोनों प्रोजेक्ट पिछली बैठक में लाए गए थे, मगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के विरोध की वजह से पारित नहीं हो सके थे और इन्हें दोबारा से चर्चा के लिए लाया गया है। बैठक के दौरान 24X7 पानी सप्लाई पर फंड की कमी के मुद्दे को उठाया गया था, इस बार इसे कैसे लाया जा सकता है इस पर विचार विमर्श किया जाना है। बैठक में लाए गए जाएंगे यह प्रस्ताव 24 घंटे पीने लायक पानी के लिए यह आठ सुझाव 28.11.2025 को आयोजित नगर निगम चंडीगढ़ की 355वीं जनरल हाउस बैठक में 24×7 पैन सिटी में पीने लायक पानी प्रोजेक्ट से संबंधित एजेंडे पर विस्तृत चर्चा की गई। सदन में एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की गई और परियोजना पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ। एजेंडे में बताया गया कि यूरो की विनिमय दर में वृद्धि हुई है और इसी प्रकार छह माह की औसत EURIBOR दर 0.26% से बढ़कर 2.113% हो गई है। इससे निवेश पर रिटर्न (ROI) बढ़ गया है और बदलते वैश्विक हालात में यह आगे भी अनिश्चित रह सकता है। MCC और शहर के निवासियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाले बिना लागू करने के लिए अन्य उपलब्ध विकल्पों पर दोबारा चर्चा की जाए। विस्तृत मंथन और चर्चा के बाद निम्नलिखित विकल्प सदन के समक्ष निर्णय के लिए आठ प्वाइंट प्रस्तुत किए गए हैं। इस विकल्प में सरकार और किसी निजी कंपनी के बीच साझेदारी करके योजना लागू की जाएगी। निजी कंपनी का चयन खुली और पारदर्शी प्रक्रिया से किया जाएगा। निजी कंपनी से पुरानी पाइपलाइन की मरम्मत, स्मार्ट मीटर लगाना, पानी की बर्बादी कम करना, लीकेज ढूंढना और ठीक करना, पानी का दबाव सही रखना, रोजमर्रा की जल आपूर्ति संभालना, इससे नई तकनीक और विशेषज्ञ लोग मिलेंगे और नगर निगम पर तुरंत खर्च का बोझ कम होगा। योजना की निगरानी और नियंत्रण नगर निगम के पास ही रहेगा। नगर निगम दूसरे देशों से तकनीकी मदद और अनुदान लेने पर विचार कर सकता है, ताकि कर्ज लेने की जरूरत न पड़े। इजराइल जैसे देश पानी की बचत और लीकेज रोकने में माहिर हैं, जबकि रूस बड़े प्रोजेक्ट संभालने का अनुभव रखता है। इन देशों की मदद से तकनीक और बेहतर तरीके मिल सकते हैं। इससे खर्च कम होगा और लोगों पर पानी के बिल बढ़ाने का दबाव नहीं पड़ेगा। इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति जरूरी होगी। नगर निगम केंद्र सरकार या AFD से ज्यादा पैसा मांग सकता है। नई रिपोर्ट के अनुसार इस योजना पर करीब 1741 करोड़ रुपये खर्च आएगा, इससे मनीमाजरा में पहले हुए पायलट प्रोजेक्ट की कमियां दूर होंगी और लोगों पर ज्यादा बिल का बोझ नहीं पड़ेगा। नगर निगम अपने पैसों से 5 से 10 साल में धीरे-धीरे काम कर सकता है। वार्ड के हिसाब से काम, पाइपलाइन को चरणों में बदलना, लीकेज कम करना, स्मार्ट मीटर लगाना, इस तरीके से लोगों पर अचानक आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा, लेकिन विदेशी कर्ज़ को रद्द करना पड़ेगा, जिससे जुर्माना भी लग सकता है। फिलहाल जो पैसा उपलब्ध है, उससे पहले किसी एक इलाके में 24 घंटे पानी की सप्लाई शुरू की जा सकती है। इसमें नई पाइपलाइन, स्मार्ट मीटर, पानी सप्लाई सिस्टम को बेहतर बनाना, अगर यह मॉडल सफल रहता है तो बाद में पूरे शहर में लागू किया जा सकता है। इस विकल्प में पूरे शहर की पानी की सप्लाई किसी निजी कंपनी को दे दी जाएगी। कंपनी खुद पैसा लगाएगी, काम करेगी और रखरखाव भी करेगी। नगर निगम सिर्फ नियम और पानी के रेट तय करेगा। हालांकि इससे काम तेज और आधुनिक हो सकता है, लेकिन पानी महंगा होने का खतरा रहेगा। नगर निगम सिर्फ पानी की चोरी और लीकेज रोकने के लिए एक अलग एजेंसी रख सकता है। यह एजेंसी: लीकेज ढूंढेंगी, अवैध कनेक्शन हटाएगी, पानी के दबाव को सही करेगी, इससे खर्च भी कम होगा और नियंत्रण भी नगर निगम के पास रहेगा। इस मॉडल में जल सप्लाई का नियंत्रण नगर निगम के पास रहेगा, लेकिन कुछ तकनीकी काम निजी कंपनियों से करवाए जाएंगे। काम धीरे-धीरे चरणों में किया जाएगा ताकि व्यवस्था लंबे समय तक ठीक चल सके।