चंडीगढ़ नई मंडी- 5.40 करोड़ से होगी ई-नीलामी:सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी,नए साल में जारी होगा पब्लिक नोटिस, सेक्टर-39 में 92 प्लॉट होंगे नीलाम

चंडीगढ़ सेक्टर-39 में विकसित की जा रही नई अनाज मंडी के शोरूम (एससीओ) प्लॉट्स की ई-नीलामी का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद प्रशासन नए साल से ई-नीलामी प्रक्रिया शुरू करेगा। कलेक्टर रेट बढ़ने के चलते अब एक एससीओ का रिजर्व प्राइस 5.40 करोड़ रुपए तय किया गया है, जबकि पहले यह 3.70 करोड़ रुपए था। यानी प्लॉट खरीदने के लिए अब 1.70 करोड़ रुपए से अधिक अतिरिक्त राशि चुकानी होगी। प्रशासन के अनुसार, जनवरी में ई-नीलामी के लिए पब्लिक नोटिस जारी किया जाएगा। हर एससीओ में 120 स्क्वायर यार्ड जगह होगी। ये सभी प्लॉट लीज होल्ड होंगे। पहले फेज में 23 प्लॉट निकाले गए थे प्रशासन ने पहले चरण में 23 प्लॉट्स की ई-नीलामी निकाली थी, जिसमें 12 व्यापारियों ने पुराने रिजर्व प्राइस पर बोली लगाकर प्लॉट खरीद लिए थे। हालांकि मामला कोर्ट में पहुंचने के कारण इन्हें अलॉटमेंट लेटर जारी नहीं हो पाए थे। अब सुप्रीम कोर्ट से प्रशासन को राहत मिलने के बाद इन 12 खरीदारों को अलॉटमेंट लेटर देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सेक्टर-26 सब्जी एवं फल मंडी एसोसिएशन ने नीलामी प्रक्रिया को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया था। आढ़तियों की मांग थी कि 50 प्रतिशत प्लॉट उन्हें प्राथमिकता के आधार पर नाममात्र दर पर अलॉट किए जाएं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है और पहले से काम कर रहे आढ़तियों को कोई विशेष राहत नहीं दी। प्रशासन ने साफ किया है कि ई-नीलामी में आढ़तियों को कोई प्राथमिकता नहीं दी जाएगी। दूसरे राज्यों के लोग भी नीलामी में भाग ले सकेंगे। नीलामी सभी के लिए खुली रहेगी। 92 प्लॉट बेचकर नई मंडी पर खर्च होगा राजस्व प्रशासन का दावा है कि कुल 92 प्लॉट्स की नीलामी की जानी है। इनसे मिलने वाला पूरा राजस्व सेक्टर-39 में नई मंडी के विकास पर ही खर्च किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद अब सेक्टर-26 से सेक्टर-39 में अनाज मंडी को शिफ्ट करने का काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है। करीब 75 एकड़ में नई मंडी को चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक अप्रैल को नीलामी और बोली आवंटन प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगा दी थी, जो अब हटा ली गई है। 2015 से लटका मंडी शिफ्ट करने का मामला सेक्टर-39 में नई मंडी का शिलान्यास वर्ष 2015 में किया गया था। प्रशासन ने फरवरी 2016 तक मंडी शिफ्ट करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक यह पूरा नहीं हो सका। सेक्टर-26 की पुरानी मंडी को अलग-अलग फेज में डी-नोटिफाई किया जाएगा। सेक्टर-26 मंडी शहर की 5 लाख आबादी के हिसाब से बनाई गई थी, जबकि अब शहर की आबादी 13 लाख से अधिक हो चुकी है। सेक्टर-39 की जमीन साल 1990 में अधिग्रहित की गई थी और मंडी एग्रीकल्चर बोर्ड को प्रशासन से मात्र 3 करोड़ रुपये में दी गई थी। प्रोजेक्ट लागत में लगातार बढ़ोतरी नई मंडी के इन्फ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने के लिए इरा प्रोजेक्ट के तहत करीब 192 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। यहां दो कोल्ड स्टोरेज बनाने की भी योजना है। इस प्रोजेक्ट की डीपीआर नेबकन कंपनी ने तैयार की थी। मार्च 2019 में प्रोजेक्ट लागत 155.79 करोड़ रुपये आंकी गई थी, जो मार्च 2022 तक करीब 24 प्रतिशत बढ़ चुकी है।