नाना काे नहीं मिली 12 साल की बच्ची की कस्टडी:चंडीगढ़ कोर्ट ने की याचिका खारिज, रिश्ता साबित नहीं कर पाए, माता-पिता हो चुकी मौत

चंडीगढ़ में 12 साल की बच्ची की कस्टडी को लेकर आए एक मामले में बड़ा फैसला देते हुए सिविल जज राहुल गर्ग की अदालत ने नाना ओम प्रकाश मौर्या की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि नाना यह साबित नहीं कर पाए कि वह सच में बच्ची के नाना हैं, इसलिए उनकी मांग स्वीकार नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा कि नाना अपने-आप को बच्ची का मातृ पक्ष का दादा यानी नाना साबित नहीं कर सके, इसलिए गार्जियन नियुक्त करने की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता। बच्ची के माता-पिता दोनों की मौत ओम प्रकाश मौर्या ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वह यूपी के अमेठी निवासी हैं और उनकी बेटी शंतिदेवी की शादी चंडीगढ़ के मौली जागरा में रहने वाले शीतला प्रसाद के साथ हुई थी। शंतिदेवी का निधन पहले ही हो गया था और 19 दिसंबर 2024 को शीतला प्रसाद की भी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि 13 अप्रैल 2012 को जन्मी नाबालिग शिखा मौर्या 2013 से उनके साथ रह रही है, इसलिए उन्होंने अदालत से मांग की थी कि बच्ची को हमेशा के लिए उनकी देखरेख और संरक्षण में दे दिया जाए। मृत्यु प्रमाण पत्र में पिता का नाम भी नहीं अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित ही नहीं कर सके कि वह वास्तव में बच्ची के नाना हैं। शंतिदेवी के मृत्यु प्रमाण पत्र में पिता का नाम भी नहीं है और कोई ऐसा दस्तावेज पेश नहीं किया गया जिससे ओम प्रकाश का बच्ची से संबंध सिद्ध हो सके। साथ ही, याचिकाकर्ता का आधार कार्ड उत्तर प्रदेश का है, जबकि बच्ची का आधार कार्ड मौली जागरा, चंडीगढ़ का है। यह भी साबित नहीं हुआ कि दोनों एक साथ रहते थे। अदालत ने स्पष्ट किया कि सबूतों के अभाव में नाबालिग बच्ची से संबंध और साथ रहने के तथ्यों को प्रमाणित नहीं किया जा सका। इसलिए बच्ची की देखभाल के लिए नाना की याचिका खारिज की गई।