हाईकोर्ट के फर्जी आदेश मामले में आरोपी की जमानत खारिज:कोर्ट बोला- जमानत दी तो फरार होने की आशंका, वॉट्सऐप पर भेजे गए फर्जी आदेश
- Admin Admin
- Dec 27, 2025
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का कथित फर्जी आदेश बनाकर फैलाने के मामले में गिरफ्तार अनिल कुमार को अदालत से राहत नहीं मिली। चंडीगढ़ की अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी। यह मामला साइबर सेल थाना, चंडीगढ़ में दर्ज एफआईआर 21 अगस्त 2025 को दर्ज की गई, जिसमें भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 318(4), 336(3), 337 और 340(2) के तहत कार्रवाई की गई है। दोनों पक्षों की बातें सुनने और केस फाइल देखने के बाद अदालत ने कहा कि आरोप काफी गंभीर हैं। अदालत का मानना है कि अगर आरोपी को जमानत दी गई तो उसके फरार होने की आशंका हो सकती है। इसलिए अदालत ने जमानत याचिका को बिना आधार की मानते हुए खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश से जुड़ा मामला अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, यह एफआईआर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की सतर्कता शाखा के अधिकारी जपिंदर सिंह की शिकायत पर दर्ज की गई थी। शिकायत हाईकोर्ट के आदेश पर आधारित थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि सीडब्ल्यूपी नंबर 31164 ऑफ 2024 में 20 नवंबर 2024 को पारित आदेश की फर्जी, जाली और छेड़छाड़ की गई प्रति तैयार कर प्रसारित की गई। यह मामला भूमि विभाजन से जुड़े विवाद से संबंधित है, जिसमें सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी रोहतक द्वारा 9 फरवरी 2024 को सनद तकसीम जारी की गई थी। इसके बाद निष्पादन कार्यवाही के दौरान कथित रूप से फर्जी आदेश का उपयोग किए जाने का आरोप सामने आया। वॉट्सऐप पर भेजे गए फर्जी आदेश अदालत के अनुसार, कथित फर्जी आदेश हल्का गिरदावर मनोज कुमार द्वारा वॉट्सऐप के माध्यम से भेजा गया था। बाद में हाईकोर्ट की वेबसाइट से आदेश की जांच करने पर सामने आया कि 20 नवंबर 2024 का जो आदेश प्रसारित किया गया, वह वास्तविक नहीं था और उसे फर्जी, जाली और मनगढ़ंत पाया गया। कोर्ट में आरोपी की दलील जमानत याचिका में आरोपी की ओर से दलील दी गई कि वह स्थायी निवासी है, किसी अन्य आपराधिक मामले में शामिल नहीं है, जांच में पूरा सहयोग कर चुका है और उसके मोबाइल फोन व लैपटॉप पहले ही पुलिस को सौंपे जा चुके हैं। साथ ही यह भी कहा गया कि वह जांच में सहयोग करने और साक्ष्यों से छेड़छाड़ न करने को तैयार है। वहीं राज्य की ओर से पेश किए गए जवाब में कहा गया कि आरोपी ने हाईकोर्ट के आदेश से छेड़छाड़ कर गंभीर अपराध किया है। यदि उसे जमानत दी जाती है तो जांच प्रभावित हो सकती है और गवाहों को धमकाने की आशंका है।



