पंजाब सरकार ने विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाया:मनरेगा का नाम 'जी राम जी' रखने का विरोध; वित्तमंत्री चीमा बोले- स्कीम के भीतर भी बहुत कुछ बदला

पंजाब सरकार की कैबिनेट मीटिंग समाप्त हो गई है। इसमें पंजाब के लिए कई अहम फैसले लिए गए हैं। इस संबंधी जानकारी देते हुए हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि BJP की केंद्र सरकार की तरफ से मनरेगा स्कीम में बदलाव किए जा रहे हैं, उस पर चर्चा करवाने के लिए स्पेशल सेशन 30 दिसंबर 11 बजे बुलाया गया है। हम नाम बदलने के खिलाफ नहीं हैं। केंद्र सरकार कह रही है कि हमने दिन 125 कर दिए हैं। मगर, काम न मिल सके, इसके लिए कई तब्दीलियां की जा रही है। चीमा ने कहा कि विधानसभा के विशेष सत्र में संशोधन बिल में लाए गए बदलावों के खिलाफ चर्चा होगी। पंजाब के मुख्यमंत्री इन बदलावों पर एतराज जता चुके हैं। आप सरकार इसके खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव भी लाएगी। उधर, चंडीगढ़ में प्रेस कान्फ्रेंस कर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने भी इस मामले में 21 दिसंबर को जिला स्तर पर धरना प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इसके अलावा कैबिनेट की मीटिंग में तीन अहम फैसले और भी लिए गए है। इनमें रिकार्ड ऑफ राइट्स एक्ट, लोकल बॉडी विभाग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस शामिल है। अब लोगों को इन तीनों मामलों से जुड़ी शिकायतों का जल्द निस्तारण और लाभ मिल सकेगा। लाल लकीर वाले घरों पर आपत्ति का निस्तारण 30 दिन में चीमा ने आगे बताया कि रिकार्ड ऑफ राइट्स एक्ट, 2021 के अधीन 11 व 12 में संशोधन किया गया है। लाल लकीर के अधीन आते घरों के मालिकों को मलकियत देने के लिए मेरा घर मेरे नाम स्कीम थी। इसमें समस्या यह आ रही थी कि एतराज लगाने का समय 90 दिन का था, जिससे समय नष्ट हो रहा था। मेरा घर मेरा स्कीम स्कीम के तहत एतराज और अपील करने का समय 30 दिन कर दिया गया है। इससे शिकायत कर्ता का समाधान जल्द हो सकेगा। लोकल बॉडी विभाग में चंक साइट्स की नई परिभाषा लोकल बॉडी विभाग में अध्ययन के बाद चंक साइट्स की परिभाषा निर्धारित की गई है। इसके अनुसार, जिस किसी प्रॉपर्टी की कीमत 20 करोड़ रुपए या इससे अधिक है, उसे चंक साइट घोषित किया जाएगा। यह प्रावधान बड़े प्लॉट्स या साइट्स की नीलामी एवं विकास से संबंधित है, जिन्हें GMADA जैसी शहरी विकास प्राधिकरण हैंडल करते हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में नया प्रावधान पंजाब में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए नया बदलाव किया गया है। पहले बैंक गारंटी की जरूरत होती थी, अब कॉर्पोरेट गारंटी को भी जोड़ा गया है। जो उद्योगपति या व्यक्ति स्टैंप ड्यूटी की वेवर लेगा, वह अपनी प्रॉपर्टी की गारंटी माल (रेवेन्यू) विभाग के पास जमा करवाएगा। यह गारंटी तब तक रहेगी, जब तक वह अपनी पेंडिंग रकम का भुगतान नहीं कर देता। इससे पंजाब में उद्योगपतियों को बड़ा फायदा होगा और निवेश आसान बनेगा। अब जानिए क्या है वीबी-जीराम जी और कांग्रेस क्यों कर रही विरोध दो दिन पहले ही दोनों सदलों में पास हुआ बिल विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल यानी VB–G Ram G लोकसभा और राज्यसभा से पास हुआ। कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने गुरुवार को दोनों सदनों में विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। कहा कि, मनरेगा का नाम पहले महात्मा गांधी के नाम पर नहीं रखा गया। वो तो पहले नरेगा थी। बाद में जब 2009 के चुनाव आए तब चुनाव और वोट के कारण महात्मा गांधी याद आए। इसके बाद उसमें जोड़ा गया महात्मा गांधी। पंजाब में मनरेगा के हालात पहले ही बदतर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने कहा कि पहले मनरेगा में 90 फीसदी हिस्सा केंद्र और 10 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार देती है, लेकिन भुगतान इस लिए रुके हुए हैं क्योंकि पंजाब सरकार अपना 10 फीसदी हिस्सा ही नहीं दे पाता था, मगर अब काम में भी कटौती कर दी गई हैं। इसका सीधा असर सड़कों की सफाई, सिंचाई और ग्रामीण विकास के कार्यों पर पड़ा है। राजा वडिंग ने बताया कि पंजाब में मनरेगा के तहत दिहाड़ी 346 रुपए मिल रही है, जबकि 500 रुपए देने का ऐलान किया गया था। पहले 100 दिन के काम की गारंटी की बात कही गई थी, जिसे अब 125 दिन बताया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। लुधियाना जिले का उदाहरण देते हुए राजा वडिंग ने कहा कि यहां 1 लाख 21 हजार 123 मजदूर मनरेगा में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन सिर्फ 51 हजार 488 को ही काम मिला। इनमें से 100 दिन का काम सिर्फ 12 परिवारों को मिल पाया। उन्होंने कहा कि हालात बेहद चिंताजनक हैं और इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। 60:40 रेश्यो पर भी जताई आपत्ति सुप्रिया श्रीनेत ने नए 60:40 फंडिंग रेश्यो (अनुपात) पर भी आपत्ति जताई, जिसमें 40 फीसदी बोझ राज्यों पर डाला जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे राज्यों की आर्थिक हालत और कमजोर होगी और मजदूरों को निजी कामों की ओर धकेलने की कोशिश की जाएगी। सरकार चाहती है कि राज्यों पर इसका बोझ बढ़े, जबकि वह ही प्रदेश सरकारों से होने वाली आमदनी का हिस्सा ले रहे हैं। कांग्रेस ने योजना के साथ प्रभु राम का नाम जोड़े जाने पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि प्रभु राम लोक आस्था और धर्म के प्रतीक हैं। गरीबों से रोजगार छीनकर और इसे प्रभु राम के नाम से जोड़ना आस्था का अपमान है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर गरीब और वंचितों से काम छीना जाएगा, तो राम राज्य कैसे बनेगा? ‘गांधी को योजना से हटा दोगे, आत्मा से नहीं निकाल सकते कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, मनरेगा के तहत करीब 20 फीसदी दलित, 17.5 फीसदी आदिवासी और 38 फीसदी पिछड़े वर्ग के लोग काम करते हैं। इस योजना को कमजोर करने का मतलब इन वर्गों से रोजगार छीनना है। उन्होंने आरोप लगाया कि जैसे बिना चर्चा के तीन कृषि कानून लाए गए थे, वैसे ही अब मनरेगा में बदलाव किया जा रहा है। इस बिल को लाने के लिए न सांसदों से चर्चा, न किसानों और मजदूरों से ही चर्चा की गई है। कांग्रेस ने कहा कि महात्मा गांधी का नाम किसी योजना से हटाया जा सकता है, लेकिन उन्हें देश के लोगों की आत्मा से नहीं निकाला जा सकता।