पंजाब में कांग्रेस का कल मनरेगा मुद्दे पर धरना प्रदर्शन:सुप्रिया-वडिंग बोले-यह गरीबों से रोजगार छीनने की साजिश, इसके खिलाफ आंदोलन होगा
- Admin Admin
- Dec 20, 2025
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के नाम और ढांचे में प्रस्तावित बदलाव को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने आरोप लगाया कि यह कदम देश के गरीब, मजदूर, महिला और किसानों के खिलाफ है और इससे राज्यों को कमजोर कर केंद्र को ज्यादा शक्तिशाली बनाया जा रहा है। राजा वडिंग ने कहा कि प्रधानमंत्री पहले मनरेगा को कांग्रेस की “विफलताओं का पुलिंदा” बताते थे और बाद में इसकी को निरंतर जारी रखा है। असलियत यह है कि इसी योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संभाला। कोरोना काल में करोड़ों लोगों को इसी कानून के तहत रोजगार मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब में गरीब मजदूरों को न तो पूरा काम मिल रहा है और न ही समय पर भुगतान ही मिल रहा है। पहले पंजाब अपना दस फीसद नहीं दे पा रहा था तो अब 40 फीसद कैसे दे पाएगा और ऐसा होने पर यह योजना पंजाब में लगभग बंद हो जाएगी। कांग्रेस कल 21 दिसंबर को पंजाब में जिला स्तर पर धरना प्रदर्शन करने जा रही है। पंजाब में मनरेगा के हालात पहले ही बदतर अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने कहा कि पहले मनरेगा में 90 फीसदी हिस्सा केंद्र और 10 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार देती है, लेकिन भुगतान इस लिए रुके हुए हैं क्योंकि पंजाब सरकार अपना 10 फीसदी हिस्सा ही नहीं दे पाता था, मगर अब काम में भी कटौती कर दी गई हैं। इसका सीधा असर सड़कों की सफाई, सिंचाई और ग्रामीण विकास के कार्यों पर पड़ा है। राजा वडिंग ने बताया कि पंजाब में मनरेगा के तहत दिहाड़ी 346 रुपए मिल रही है, जबकि 500 रुपए देने का ऐलान किया गया था। पहले 100 दिन के काम की गारंटी की बात कही गई थी, जिसे अब 125 दिन बताया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। लुधियाना जिले का उदाहरण देते हुए राजा वडिंग ने कहा कि यहां 1 लाख 21 हजार 123 मजदूर मनरेगा में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन सिर्फ 51 हजार 488 को ही काम मिला। इनमें से 100 दिन का काम सिर्फ 12 परिवारों को मिल पाया। उन्होंने कहा कि हालात बेहद चिंताजनक हैं और इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। कांग्रेस ने पंजाब सरकार के विशेष सेशन पर भी उठाए सवाल मुख्यमंत्री द्वारा विशेष सत्र बुलाने की घोषणा पर भी कांग्रेस ने सवाल खड़े किए। राजा वडिंग ने पूछा कि जब राज्य सरकार पहले 10 फीसदी हिस्सा भी ठीक से नहीं दे पा रही थी, तो क्या वह अब 40 फीसदी हिस्सा गरीबों के लिए दे पाएगी? कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मनरेगा बिल पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन के कार्यकाल में पास हुआ था और इसे दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना माना गया। इस कानून ने काम के अधिकार की गारंटी दी और उस समय “रोजगार जिंदाबाद” के नारे लगे थे। उन्होंने कहा कि अब इस योजना का मूल स्वरूप बदला जा रहा है। पहले मनरेगा मांग आधारित योजना थी, जिसमें काम की मांग होती थी, तब फंड जारी होता था। अब पहले से तय फंड होगा। फंड खत्म होते ही काम भी खत्म हो जाएगा और दोबारा फंड नहीं आएगा। इससे केंद्र सरकार यह तय करेगी कि किस राज्य में काम होगा और किस में नहीं। कांग्रेस को आशंका है कि इससे केवल केंद्र की सरकार वाले राज्यों को ही ज्यादा काम मिलेगा। 60:40 रेश्यो पर भी जताई आपत्ति सुप्रिया श्रीनेत ने नए 60:40 फंडिंग रेश्यो (अनुपात) पर भी आपत्ति जताई, जिसमें 40 फीसदी बोझ राज्यों पर डाला जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे राज्यों की आर्थिक हालत और कमजोर होगी और मजदूरों को निजी कामों की ओर धकेलने की कोशिश की जाएगी। उनका कहना था कि सरकार चाहती है कि राज्यों पर इसका बोझ बढ़े, जबकि वह ही प्रदेश सरकारों से होने वाली आमदनी का हिस्सा ले रहे हैं। कांग्रेस ने योजना के साथ प्रभु राम का नाम जोड़े जाने पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि प्रभु राम लोक आस्था और धर्म के प्रतीक हैं। गरीबों से रोजगार छीनकर और इसे प्रभु राम के नाम से जोड़ना आस्था का अपमान है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर गरीब और वंचितों से काम छीना जाएगा, तो राम राज्य कैसे बनेगा? ‘गांधी को योजना से हटा दोगे, आत्मा से नहीं निकाल सकते कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, मनरेगा के तहत करीब 20 फीसदी दलित, 17.5 फीसदी आदिवासी और 38 फीसदी पिछड़े वर्ग के लोग काम करते हैं। इस योजना को कमजोर करने का मतलब इन वर्गों से रोजगार छीनना है। उन्होंने आरोप लगाया कि जैसे बिना चर्चा के तीन कृषि कानून लाए गए थे, वैसे ही अब मनरेगा में बदलाव किया जा रहा है। इस बिल को लाने के लिए न सांसदों से चर्चा, न किसानों और मजदूरों से ही चर्चा की गई है। कांग्रेस ने कहा कि महात्मा गांधी का नाम किसी योजना से हटाया जा सकता है, लेकिन उन्हें देश के लोगों की आत्मा से नहीं निकाला जा सकता। दुनिया के बड़े नेता आज भी गांधी स्थल पर जाकर शीश झुकाते हैं। कांग्रेस ने मनरेगा के मौजूदा स्वरूप से छेड़छाड़ रोकने और गरीबों के हित में योजना को मजबूत करने की मांग की है।



