सांसद अमृतपाल विंटर सेशन में नहीं हो पाएंगे शामिल:सरकार का पैरोल देने से इनकार, HC ने सप्ताह में फैसला लेने को कहा था

असर की डिब्रूगढ़ जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत बंद खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल इस बार भी संसद के शीतकालीन सत्र में शामिल नहीं हो पाएंगे। सरकार ने उन्हें अस्थायी पैरोल देने मना कर दिया है। उन्होंने सत्र में शामिल होने के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह में फैसला लेने को कहा था। सेशन एक से 19 दिसंबर तक होगा। हालांकि इस बारे में अभी तक इस मामले में बोलने से बच रहे है। डीसी व SSP रिपोर्ट के आधार पर फैसला जिला रिपोर्ट को आधार बनाया गया है।सूत्रों के मुताबिक, अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर और जिले के पुलिस प्रमुख की रिपोर्टों के आधार पर सरकार ने कहा है कि अगर अमृतपाल सिंह को रिहाई दी गई तो कानून-व्यवस्था बिगड़ने का खतरा हो सकता है। इससे पहले अमृतपाल की तरफ से एनएसए की धारा 15 का हवाला दिया गया था, जो सक्षम प्राधिकार को विशेष परिस्थितियों में बंदी को पैरोल देने का अधिकार देती है। उनकी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश देकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पास भेज दिया था। हाईकोर्ट ने तीन तर्क देकर सरकार को दिए थे अधिकार 1. अमृतपाल की तरफ से हाईकोर्ट में दायर याचिका में सीनियर एडवोकेट आर.एस. बैंस पेश हुए थे। इस दौरान अदालत ने उनसे सवाल किया था कि अमृतपाल संसद में किस विषय पर बोलेंगे या सिर्फ मौनदर्शक बने रहेंगे — आपने क्या रिसर्च किया है। इस पर अमृतपाल के एडवोकेट आर.एस. बैंस ने कहा कि संभवतः वह बाढ़ से राहत के मुद्दे पर बोलेंगे। 2. इस दौरान केंद्र की तरफ से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन हाज़िर रहे और उन्होंने कहा कि केवल राज्य की सक्षम अथॉरिटी ही सांसद को संसद में शामिल होने के लिए अनुमति दे सकती है। इस पर अमृतपाल के एडवोकेट आर.एस. बैंस ने कहा कि पैरोल को लेकर पंजाब सरकार और जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन दे दिया गया है। 3. पंजाब सरकार की तरफ से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल चंचल सिंह ने कहा कि अमृतपाल की तरफ से सिर्फ प्रतिनिधित्व (रिप्रेजेंटेशन) दिया गया है; वह प्रॉपर आवेदन के फॉर्मेट में नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा कि उसे ही आवेदन के तौर पर मानें और एक सप्ताह में फैसला लेने को कहा था।