जीजामाता नगर स्लम पुनर्विकास का शीत सत्र में उठेगा मुद्दा

मुंबई, 8 दिसंबर (हि.स.)। दक्षिण मुंबई के कालाचौकी स्थित जीजामाता नगर स्लम रीडेवलेपमेंट का मामला तूल पकड़ने लगा है। लंबे समय से अटकी इस परयोजना को लेकर रहवासियों ने डेवलपर के खिलाफ आवाज मुखर की है। आखिरकार इस मामले में भाजपा एमएलसी प्रवीण दरेकर ने रहिवासियों से मिलकर इस मामले को नागपुर शीत सत्र में उठाने का आश्वासन दिया है। उनके आश्वासन के बाद धरने पर बैठे रहिवासियों ने अपना अनशन तोड़ दिया है। हालांकि चेतावनी दी गई है कि यदि 16 दिसंबर तक फैसला नहीं हुआ तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

स्थानीय रहिवासी ओम शांति बिल्डर के खिलाफ पिछले गुरुवार से अनशन पर बैठे थे। उनका आरोप है कि यह परियोजना पिछले 25 साल से लटकी हुई है। अभी तक डेवलपर ने एक ईंट भी नहीं रखी है। यह परियोजना डेवलपर से वापस ली जाए और क्लस्टर योजना के तहत इसका विकास किया जाए। दरेकर ने भूख हड़ताल पर बैठे लोगों से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि यह मुद्दा शीत सत्र में उठाया जाएगा। स्थानीय रहिवासी सत्यवान सावंत के अनुसार दरेकर ने आश्वासन दिया है कि यदि 51 प्रतिशत रहिवासी सहमति पत्र दें तो डेवलपर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

स्थानीय लोगों के अनुसार जीजामाता नगर में 3 हजार से झोपड़े हैं। इसके रीडेवलपमेंट का प्रोजेक्ट एक प्राइवेट डेवलपर को दिया गया है। इसके लिए एसआरए ने ज़रूरी अनुमति और एनओसी दी थी। डेवलपर ने 10 एकड़ में फैले 3 हजार झोपड़ों की जगह सिर्फ 150 झोपड़े खाली करके उन्हें गिरा दिया। जिन लोगों ने अपने घर खाली कर दिए थे, उन्हें किराया देना शुरू कर दिया गया था। लेकिन डेवलपर ने रीडेवलपमेंट का काम शुरू नहीं किया। रीडेवलपमेंट की एक भी ईंट नहीं रखी गई है। संबंधित रहिवासियों का आरोप है कि 150 लोगों को समय पर किराया भी नहीं दिया गया है। निवासी लंबे समय रीडेवलपमेंट का इंतजार कर रहे हैं। निवासी एसआरए के चक्कर लगा रहे हैं। निवासियों ने साल 2023 में भी भूख हड़ताल की थी। उस समय एसआरए ने भरोसा दिलाया था कि अगर डेवलपर ने छह महीने के अंदर काम शुरू नहीं किया, तो प्रोजेक्ट डेवलपर से छीन लिया जाएगा। लेकिन अभी भी डेवलपर से प्रोजेक्ट नहीं लिया गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / वी कुमार