सोनीपत:ऊर्जा-पर्यावरण शोध में विक्रांत राव को डीसीआरयूएसटी से पीएचडी की उपाधि

सोनीपत, 1 दिसंबर (हि.स.)। सोनीपत दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,

मुरथल में ऊर्जा और पर्यावरणीय अध्ययन केंद्र से विक्रांत सिंह राव ने अपनी पीएचडी

उपाधि पूर्ण की। उनका शोध कार्य डॉ. एस. पी. नेहरा के निर्देशन में सम्पन्न हुआ। विश्वविद्यालय

के कुलगुरु प्रो. प्रकाश सिंह ने सोमवार को उत्कृष्ट उपलब्धि पर डॉ. राव को बधाई देते हुए कहा

कि उन्नत पदार्थों और टिकाऊ प्रौद्योगिकी पर किया गया शोध आज की ऊर्जा चुनौतियों के

समाधान के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शोध पारितंत्र

को सुदृढ़ बनाने और युवाओं को प्रभावी नवाचार हेतु प्रेरित करने के लिए प्रतिबद्ध है। डॉ. राव का शोध विषय ऊर्जा और पर्यावरणीय उपयोग हेतु ग्रेफाइटिक

कार्बन नाइट्राइड आधारित द्विआधारी/त्रिआधारी नैनोकणों पर जांच रहा। यह विषय स्वच्छ

ऊर्जा उत्पादन और पर्यावरणीय टिकाऊपन की दृष्टि से व्यापक महत्व रखता है। शोध के दौरान

उन्होंने ऐसे उन्नत नैनो पदार्थों के विकास पर ध्यान दिया, जो स्वच्छ ऊर्जा एवं पर्यावरण

संरक्षण में उपयोगी समाधान प्रदान कर सकें।

उनके वैज्ञानिक योगदान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना

मिली है। डॉ. राव ने प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 11 शोध लेख प्रकाशित

किए, जिनका संयुक्त प्रभावांक 85 से अधिक रहा। यह उपलब्धि डॉक्टरेट स्तर पर उत्कृष्ट

शोध क्षमता का प्रमाण है। इसके अतिरिक्त उन्होंने नैनोकंपोज़िट्स पर आधारित उच्च क्षमता

वाले सुपरकैपेसिटर प्रदर्शन से संबंधित एक भारतीय पेटेंट भी प्रकाशित किया है, जो उनके

कार्य की उपयोगिता और नवाचार मूल्य को दर्शाता है।

कुलगुरु प्रो. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में शोध को निरंतर

प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप विद्यार्थी नई और महत्त्वपूर्ण खोजों

के माध्यम से विश्वविद्यालय, प्रदेश और देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। विश्वविद्यालय ने

डॉ. विक्रांत सिंह राव के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए आशा जताई कि विज्ञान,

प्रौद्योगिकी और टिकाऊ विकास के क्षेत्रों में उनके जैसे शोधार्थी आगे भी महत्वपूर्ण

योगदान देते रहेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना