लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ जिला स्तरीय कार्यशाला का डीएम ने किया शुभारंभ

गोपालगंज, 8 दिसंबर (हि.स.)। समाहरणालय सभा कक्ष में जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में लिंग आधारित हिंसा के विरुद्ध जिला स्तरीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला पदाधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर भू-अर्जन पदाधिकारी अनिल कुमार, पंचायती राज पदाधिकारी धर्मेंद्र कुमार, कोषागार पदाधिकारी शशिकांत आर्या, आईसीडीएस जिला प्रोग्राम पदाधिकारी रंजना कुमारी, विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि और प्रशिक्षार्थी बड़ी संख्या में मौजूद थे।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य लिंग आधारित हिंसा के कारण, प्रभाव और रोकथाम पर सामूहिक मंथन करना था। अधिकारियों ने बताया कि यह एक वैश्विक सामाजिक समस्या है, जिसका असर सीधा महिलाओं, बच्चों और समाज के कमजोर वर्गों पर पड़ता है। हिंसा न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास पर भी गंभीर दुष्प्रभाव पड़ता है। घरेलू हिंसा अधिनियम और पीसीएमए पर विस्तृत जानकारी दी गई जिसमें कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न निवारण अधिनियम, बाल यौन शोषण संरक्षण अधिनियम, घरेलू हिंसा अधिनियम,बाल विवाह निषेध अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को विस्तार से समझाया गया। इसके साथ ही बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की कार्ययोजना पर भी चर्चा की गई।

अधिकारियों ने बताया कि त्वरित कानूनी सहायता, पीड़ित संरक्षण सेवाओं, हेल्पलाइन, काउंसलिंग और शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में जिला प्रशासन लगातार प्रयासरत है। कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित प्रमुख योजनाओं की विस्तृत जानकारी भी दी गई, जिसमें वन स्टॉप सेंटर, 181 महिला हेल्पलाइन, प्लान योजना,जिला महिला उत्थान केंद्र, महिला परामर्श सेवाएं,नारी सुरक्षा एवं जागरूकता कार्यक्रम इन सभी योजनाओं के माध्यम से पीड़ितों को कानूनी, चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

जिला पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, बाल संरक्षण इकाई तथा अन्य संबद्ध विभागों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। विशेषज्ञों ने कहा कि लैंगिक हिंसा का समाधान सिर्फ कानून से नहीं, बल्कि समाज में संवेदनशीलता, जागरूकता और निरंतर संवाद से ही संभव है। स्कूलों, पंचायतों, आशा-आंगनबाड़ी सेवाओं और सामुदायिक संगठनों की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया गया। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को बाल विवाह निषेध की शपथ दिलाई गई।

अधिकारियों, कर्मचारियों और प्रशिक्षार्थियों ने संकल्प लिया कि वे समाज को बाल विवाह, लैंगिक हिंसा, शोषण और भेदभाव से मुक्त बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे तथा हर पीड़ित को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराएंगे।जिलाधिकारी ने कहा कि लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ लड़ाई सिर्फ प्रशासन की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। जागरूकता, संवेदनशीलता और कानून का सही क्रियान्वयन ही बदलाव की कुंजी है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / Akhilanand Mishra