महामना मालवीय की जयंती पर उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य ने दी श्रद्धांजलि
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- Dec 25, 2025
नई दिल्ली, 25 दिसंबर (हि.स.)। भारतरत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की 164वीं जयंती पर उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन समेत तमाम नेताओं ने एक्स पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। इन नेताओं ने मालवीय के शिक्षा, पत्रकारिता, समाज सुधार और स्वराज आंदोलन में योगदान को प्रेरणास्रोत बताया।
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि महामना का ज्ञान, सामाजिक सुधार और नैतिक नेतृत्व हमें याद दिलाता है कि वास्तविक प्रगति प्रबुद्ध मस्तिष्क और करुणामय हृदय से शुरू होती है। उनके आदर्श पीढ़ियों का मार्ग आलोकित करते रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मालवीय जी ने गुलामी की जंजीरें तोड़ने के लिए समाज सुधार के साथ राष्ट्रीय चेतना जागृत की। मातृभूमि की सेवा में समर्पित महामना का शिक्षा जगत में अतुलनीय योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि बीएचयू की स्थापना से मालवीय जी ने आधुनिक शिक्षा को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ा और प्रेस को राष्ट्रनिर्माण का माध्यम बनाया। अस्पृश्यता उन्मूलन और किसान हित में उनका संकल्प चिरस्मरणीय है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि बीएचयू के संस्थापक मालवीय जी ने शिक्षा को राष्ट्र की शक्ति बनाया। उनकी जयंती पर उन्हें विनम्र अभिवादन। उनका योगदान आधुनिक भारत की शैक्षणिक नींव का आधार है।
भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष नबीन ने कहा कि मालवीय जी का संपूर्ण जीवन स्वराज, सामाजिक सुधार और भारतीय संस्कृति के उत्थान को समर्पित रहा। उनका अद्वितीय योगदान आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करता रहेगा, उन्हें कोटिशः नमन। उल्लेखनीय है कि पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 को प्रयागराज में हुआ था और 12 नवंबर 1946 को उनका देहावसान हुआ। उन्होंने 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की, जो एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालयों में गिना जाता है। पत्रकारिता में उन्होंने 1909 में लीडर, 1910 में मर्यादा और 1924 में हिंदुस्तान टाइम्स की स्थापना के प्रारंभिक चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह चार बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और 2015 में उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न प्रदान किया गया। अस्पृश्यता उन्मूलन, महिला शिक्षा और किसान अधिकारों के लिए उनके प्रयास भारतीय सामाजिक पुनर्जागरण के प्रमुख अध्याय माने जाते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर



