हरियाणा के डीजीपी ओपी सिंह हुए सेवानिवृत्त:​​​​​​​मधुबन पुलिस अकादमी में सम्मानपूर्वक विदाई,बोले-रिटायर्ड शब्द से परहेज, टायर शब्द से है आपत्ति

करनाल के मधुबन स्थित हरियाणा पुलिस अकादमी में हरियाणा के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह के सेवानिवृत्त होने पर गरिमामय विदाई समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर पुलिस की टुकड़ियों ने उन्हें सलामी दी और अधिकारियों व जवानों ने उनके कार्यकाल को याद किया। समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत में डीजीपी ओपी सिंह ने अपने करियर, पुलिस व्यवस्था, अपराध और समाज की साझा जिम्मेदारी पर खुलकर विचार रखे। उन्होंने कहा कि उन्हें “रिटायर्ड” शब्द से कोई परहेज नहीं है, लेकिन “टायर” शब्द उन्हें परेशान करता है। उन्होंने कहा कि जब हम सरकार को सेवाएं दे रहे होते हैं, तो रिटायर नहीं होते, बल्कि जिम्मेदारियां बदलती हैं। उनका कहना था कि इंडियन पुलिस में उनका करियर बिल्कुल सपनों जैसा रहा। जब वे आईपीएस में आए थे, अगर उस समय कोई उनसे पूछता कि वे कैसा करियर चाहते हैं, तो जो वे कल्पना करते, उससे दोगुना बेहतर करियर उन्हें मिला। अधूरा कुछ नहीं, पुलिस एक सतत संस्था है पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या उनके कार्यकाल में कोई ऐसा काम रहा जो अधूरा रह गया, इस पर ओपी सिंह ने कहा कि अधूरा तब कहा जाता जब पुलिस बंद हो जाती। पुलिस तो एक सतत संस्था है, जो यहीं है और आगे भी रहेगी। डीजीपी आते-जाते रहते हैं, लेकिन सिस्टम चलता रहता है। आने वाले जो भी डीजीपी होंगे, उन्हें अपराधियों से 36 का आंकड़ा बनाकर रखना होगा। ठगों को दौड़ाकर रखना पड़ेगा और आम लोगों से ठीक व्यवहार करना पड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कुछ भी बदलने वाला नहीं है, पुलिस का मूल दायित्व वही रहेगा। गैंगस्टर और ठगी के खिलाफ उम्रभर की लड़ाई गैंगस्टरों के खिलाफ कड़े रुख पर पूछे गए सवाल के जवाब में ओपी सिंह ने कहा कि यह पूरी उम्र की लड़ाई है। अपराधियों से 36 का आंकड़ा बनाकर रखना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि केवल लाठी ही नहीं, बल्कि कलम भी उतनी ही जरूरी है। ठगी और बदमाशी की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। यह लड़ाई सिर्फ पुलिस की नहीं है, बल्कि पूरे समाज की है। उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रेक्ट कीलिंग, एक्सटोर्शन और अन्य आपराधिक गतिविधियां अब एक बड़ी इंडस्ट्री का रूप ले चुकी हैं। इसमें सोशल मीडिया, इंटरटेनमेंट और छुटभैये बदमाश मिलकर ऐसा माहौल बना देते हैं कि एक कॉल आते ही लोग डर से टूट जाते हैं। बाकी अपराध एक तरफ और इन अपराधियों की धमकी भरी कॉल एक तरफ रख दी जाती है। इससे पूरा सिस्टम खराब हो जाता है। इनके खिलाफ खड़ा होना केवल पुलिस का नहीं, बल्कि हर नागरिक का काम है। हर नागरिक बिना वर्दी वाला पुलिस अफसर ओपी सिंह ने पुलिस की ऐतिहासिक भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि 1829 में सर रॉबर्ट पील ने लंदन में पुलिस की स्थापना की थी। उन्होंने कहा था कि “एवरी सिटीजन इज ए पुलिस ऑफिसर विदआउट यूनिफॉर्म।” यानी हर नागरिक बिना वर्दी का पुलिस अफसर है। नए कानून में यह प्रावधान है कि यदि किसी व्यक्ति को अपराध की जानकारी है और वह पुलिस को यह जानकारी नहीं देता, तो वह भी दोषी माना जाएगा। उन्होंने कहा कि अपराधों को रोकने का काम सामूहिक है। यह सोच गलत है कि अपराध पुलिस के गले में डाल दिए जाएं और बाकी लोग सिर्फ आलोचना करते रहें। समाज को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और पुलिस के साथ मिलकर काम करना होगा। मेरा जीवन ही मेरा संदेश है ओपी सिंह ने कहा कि उनका जीवन ही उनका संदेश है। उन्होंने अपने संदेश में भी यही बात कही कि अगर कोई मजदूर की मानसिकता लेकर काम करता है, तो यह देश “लाटसाब” का नहीं है। अंग्रेज चले गए हैं। यहां जनता ने टैक्स मनी इकट्ठा करके ठगों और बदमाशों के खिलाफ एक संस्था बनाई है और पुलिस को काम पर रखा है। पुलिस की ड्यूटी बनती है कि जनता की संतुष्टि के लिहाज से ठगों और बदमाशों को जेल छोड़-छोड़कर आए। उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि यह एक शानदार करियर है। सिस्टम को प्रॉब्लेम सॉल्वर और वैल्यू क्रिएटर चाहिए। अगर आप समस्या का समाधान करने वाले और समाज के लिए मूल्य बनाने वाले बनते हैं, तो एक ड्रीम करियर आपका इंतजार कर रहा है। कार्यवाहक डीजीपी से पूर्ण कार्यकाल तक ओपी सिंह हरियाणा कैडर के 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। अक्टूबर 2025 में हरियाणा के तत्कालीन डीजीपी शत्रुजीत कपूर के छुट्टी पर जाने के बाद उन्हें कार्यवाहक डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। वे बिहार के रहने वाले हैं और अपने करियर में कई जिलों में एसपी और कमिश्नर के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। पुलिस की कार्यप्रणाली में बदलाव को लेकर वे लगातार चर्चा में रहे और उनके कार्यकाल में हरियाणा पुलिस में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले। व्यक्तिगत परिचय और उपलब्धियां ओम प्रकाश सिंह का जन्म 1 जनवरी 1966 को जामुई, बिहार में हुआ। वे बिहार के मूल निवासी हैं और उन्होंने बीए की डिग्री प्राप्त की है। 14 अक्टूबर 2025 से वे हरियाणा के डीजीपी के रूप में कार्यरत रहे। इसके अलावा वे राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में एडीजीपी, हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के एमडी और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी, मधुबन के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे। उनकी पत्नी रितु सिंह हैं, जो दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की बड़ी बहन हैं। सुशांत सिंह राजपूत बचपन से उनके साथ पंचकूला में रहते थे और उन्होंने थिएटर से अभिनय की शुरुआत की थी। पहले मनी लॉन्ड्रिंग केस से खेल और आपदा प्रबंधन तक योगदान ओपी सिंह ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत भारत का पहला केस दर्ज किया था। खेल विभाग में ‘प्ले फॉर इंडिया’ अभियान के जरिए उन्होंने 15 लाख बच्चों को प्रेरित किया। आपदा प्रबंधन और सामुदायिक पुलिसिंग के क्षेत्र में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें 2008 में पुलिस मेडल और 2017 में राष्ट्रपति पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया। सेवानिवृत्ति के साथ ही ओपी सिंह का एक लंबा और प्रभावशाली पुलिस करियर पूरा हुआ, जिसे हरियाणा पुलिस और समाज लंबे समय तक याद रखेगा।