करनाल में DGP ने ली अधिकारियों की मीटिंग:बोले सिक्योरिटी कोई तमाशा नहीं, शौकिया पुलिस पीछे लगाने वालों पर होगी कार्रवाई

हरियाणा के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि किसी को भी सिक्योरिटी देना या वापिस लेना कोई तमाशा नहीं है। यह पूरी तरह इंटेलिजेंट इनपुट, खतरे के आकलन और फील्ड रिपोर्ट के आधार पर किया जाता है। जिन लोगों को वास्तविक खतरा है, उन्हें पूरा सिक्योरिटी कवर दिया जाता है, जबकि शौकिया तौर पर पुलिस पीछे लगवाने की मानसिकता को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रविवार को मधुबन पुलिस अकादमी में आयोजित अधिकारियों की बैठक के बाद डीजीपी ने अपराध, सुरक्षा व्यवस्था, रिश्वतखोरी, गैंगस्टर, एक्सटोर्शन, ड्रग्स और नए साल की तैयारियों को लेकर विस्तार से अपनी बात रखी। सिक्योरिटी देने की प्रक्रिया पर साफ संदेश डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को सिक्योरिटी देने से पहले जिला स्तर पर एसपी द्वारा मौका मुआयना किया जाता है और सीआईडी की रिपोर्ट ली जाती है। अगर किसी को जरा सा भी खतरा नजर आता है तो उसे पूरा सिक्योरिटी कवर दिया जाता है। उन्होंने हाल ही में पानीपत से सामने आई एक तस्वीर का जिक्र करते हुए बताया कि वहां चार गनमैन किसी व्यक्ति को सिक्योरिटी के तौर पर दिए गए थे। जैसे ही सिक्योरिटी मिली, वह व्यक्ति विजिटरों को बुलाने लगा, बुक्के दिए जा रहे थे और दोनों गनमैन फोटो खिंचवा रहे थे। जब यह तस्वीर उनके पास पहुंची तो उन्होंने तत्काल चारों गनमैनों को सस्पेंड करने के निर्देश दिए। उन्होंने साफ कहा कि यह शौकिया पुलिस पीछे लगाने का खेल बंद होना चाहिए और जिन लोगों को पहले गलत तरीके से सिक्योरिटी दी गई है, उनसे वसूली भी की जाएगी। 2025 के अपराधों की समीक्षा, 2026 की बेहतर तैयारी मधुबन पुलिस अकादमी में हुई बैठक में पूरे साल के अपराधों की गहन समीक्षा की गई। डीजीपी ने बताया कि चाहे वह कॉन्ट्रेक्ट किलिंग हो, एक्सटोर्शन के मामले हों, ड्रग्स की सप्लाई रोकने की चुनौती हो या फिर क्राइम के हॉटस्पॉट, हर पहलू पर चर्चा हुई। 2025 के अनुभवों से क्या सीखा गया और 2026 में उन सीखों को कैसे लागू किया जाए, ताकि पुलिस की परफॉर्मेंस और बेहतर हो सके, इस पर अधिकारियों से सुझाव लिए गए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि 2026 में हरियाणा पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था 2025 से कहीं बेहतर होगी। रिश्वतखोरी पर सख्त रुख, 311(2) के तहत कार्रवाई रिश्वत लेने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को बर्खास्त करने के बयान और उसके बाद सामने आए मामलों पर डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि जो हो रहा है, वही उन्होंने कहा था। उन्होंने बताया कि उनके पास 311(2) का प्रावधान है, जिसके तहत अगर किसी मामले की जांच में देरी से पब्लिक इंटरेस्ट प्रभावित होता है, तो संबंधित रैंक के अधिकारी या कर्मचारी को बाहर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस से जनता अपेक्षा करती है कि वह बदमाशों से लड़े। जब सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से ऐसे सबूत सामने आते हैं, जो साफ दिखाई देते हैं, तो ऐसे लोगों को फोर्स में बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। उनका स्टैंड बिल्कुल स्पष्ट है-अगर आप क्रिमिनल हैं तो जेल जाएं या घर जाएं, और अगर पुलिस में हैं तो पुलिस की मर्यादा में रहिए। लोगों के तीन बड़े पेन प्वाइंट पर फोकस डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि आम लोगों के तीन बड़े पेन प्वाइंट हैं। पहला, लोगों को धमकियां नहीं मिलनी चाहिए और उनसे एक्सटोर्शन नहीं मांगी जानी चाहिए। दूसरा, ड्रग्स की सप्लाई इस स्तर पर नहीं होनी चाहिए कि जो लेना भी नहीं चाहता, उसे भी आसानी से मिल जाए। तीसरा, जगह-जगह स्टोरियों, शराब पीने वालों और ड्रग्स पीने वालों के अड्डे नहीं बनने चाहिए, ताकि लोग वहां जाने के लिए मजबूर न हों। इन तीनों मुद्दों पर पुलिस ने लगातार मेहनत की है। हजारों अपराधी जेल, 107 मर्डर प्लान फोइल डीजीपी ने बताया कि इस दौरान हजारों अपराधियों को पकड़ा गया और उनसे हजारों की संख्या में हथियार और गोलियां बरामद की गईं। पूछताछ के दौरान करीब 107 मर्डर प्लान को पहले ही फोइल किया गया। उन्होंने कहा कि यह सब बड़ी मेहनत से संभव हुआ है और पुलिस लगातार इसी दिशा में काम कर रही है। 31 दिसंबर को लेकर सख्त निगरानी नए साल की तैयारियों पर बोलते हुए डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि पिछले साल जिन हुड़दंगियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए थे, उनकी दोबारा रिविजिट की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे इस समय क्या गतिविधियां कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नया साल मनाने का अधिकार सभी को है, क्योंकि यह खुशी का त्यौहार है और लोग एकत्रित होते हैं। पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि लोग सुरक्षित तरीके से त्यौहार को एंजॉय कर सकें। उन्होंने अपील की कि जिम्मेदारी के साथ उत्सव मनाएं, नशे में गालियां देने, तेज गाड़ी चलाने या दूसरों को नुकसान पहुंचाने से बचें। एक्सटोर्शन कॉल पर डीजीपी का दो टूक बयान एक्सटोर्शन कॉल को लेकर डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि ज्यादातर कॉल बकवास होती हैं। गैंगस्टर की भाषा अक्सर भिखारी की तरह गिड़गिड़ाने वाली होती है-भाई साहब हमारा भी ख्याल कर लो। उन्होंने कहा कि यह कोई असली थ्रेट नहीं होता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गैंगस्टर मौजूद हैं, इससे इनकार नहीं है, लेकिन हरियाणा पुलिस के सामने उनकी कोई हैसियत नहीं है। पुलिस के पास करीब 70 हजार की फोर्स है और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी उपलब्ध है। विदेशों से गैंगस्टर पकड़कर लाने का दावा डीजीपी ने बताया कि अब तक 11 गैंगस्टर विदेशों से पकड़कर लाए जा चुके हैं। इसके अलावा थाना और जिला स्तर पर इलाकों में सर्च अभियान चलाकर करीब साढ़े चार हजार अपराधियों को जेल भेजा गया, जो आपराधिक गतिविधियों में शामिल थे और हथियारबंद थे। करीब 200 से ज्यादा मामलों में जमानत रद्द करवाई गई। उन्होंने कहा कि गैंगस्टर और उनके नेटवर्क की ग्राउंड लेवल पर मारक क्षमता को खत्म करने का काम लगातार चल रहा है। उनकी प्रॉपर्टी अटैच की जा रही है, उन्हें डि-ग्लैमराइज किया जा रहा है और जो लोग उनकी फंडिंग या पैसे हैंडल करते हैं, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा रही है। गैंगस्टर कल्चर को बढ़ावा न देने की अपील डीजीपी ओपी सिंह ने साफ कहा कि जो लोग गैंगस्टरों को महिमामंडित करते हैं, वे समझ लें कि यह सांप है और काटेगा ही। ऐसे लोगों को आगे बढ़ाने से समाज का ही नुकसान होता है। पुलिस ऐसे सभी लोगों के खिलाफ है, जो गैंगस्टर के ओरा को बढ़ाते हैं या किसी भी रूप में उनका समर्थन करते हैं।