पंजाब से हरियाणा पहुंचा ₹1करोड़ का घोड़ा:सिर से पैर तक सफेद, हाइट 67 इंच; सर्दियों में बादाम उबला दूध पीता, एक घंटे होती मालिश

हरियाणा में कुरुक्षेत्र के पिहोवा पशु मेले में 1 करोड़ का घोड़ा पहुंचा है। यह घोड़ा पंजाब के संगरूर से लाया गया है। मारवाड़ी नस्ल के नुकरे घोड़े का नाम प्रताप रूप है, जो सिर से पैर तक पूरी तरह सफेद है। घोड़े की उम्र 28 महीने की है और वह 67 इंच ऊंचा है। इसकी कीमत सुनकर पशु मेले में आए पशुपालक भी हैरान हैं। लोग घोड़े के साथ फोटो खिंचवाने आ रहे हैं। घोड़े के मालिक मालिक सरपंच हरप्रीत सिंह और उनके पिता निर्भय सिंह ने बताया कि इसकी 1 करोड़ रुपए तक की कीमत लग चुकी है। मगर, उन्होंने इसे नहीं बेचा। घोड़े को 3 टाइम अलग-अलग डाइट दी जाती है। सर्दियों में उसे दूध में बादाम उबालकर दिए जाते हैं। उसे नहलाकर एक घंटे तेल मालिश की जाती है। घोड़े की डाइट क्या, कैसे करते देखभाल, सिलसिलेवार ढंग से जानिए... तीनों टाइम की अलग-अलग डाइट हरप्रीत सिंह ने बताया कि प्रताप रूप को 3 टाइम अलग-अलग खाना खिलाते हैं। सुबह के समय प्रताप को 2 से 3 किलो काले चने दिए जाते हैं। 11 बजे उसे फॉर्म में घुमाने के लिए लेकर जाते हैं। दोपहर को फॉर्म में उसे खुला रखते हैं, जहां वो घास चरता है। शाम को प्रताप रूप को घर लाकर दूध पिलाते हैं। सर्दी में दूध में बादाम को डालकर उबालकर दिया जाता है। इसके बाद खाने के लिए उबला जौ भी देते हैं। गर्मी के दिनों में उसे सप्ताह में 2 दिन के लिए सेब भी खाने में दिए जाते हैं। घोड़े की देखभाल में 3 कर्मचारी लगाए सरपंच हरप्रीत सिंह बताते हैं कि प्रताप रूप की सेवा के लिए 3 लोग रखे हुए हैं। इसके अलावा वे और उनके पिता निर्भय सिंह भी उसकी सेवा में लगे रहते हैं। उनके पास और भी कई घोड़े हैं, जिनके लिए डेढ़ एकड़ में फॉर्म बना रखा है, लेकिन प्रताप रूप को घर में ही रहता है। हरप्रीत सिंह ने बताया कि प्रताप रूप को हर रोज नहलाया जाता है। नहलाने के बाद उसकी तेल से मालिश करते हैं। उसे नहलाने और तेल मालिश में एक घंटे का समय लगता है। इसमें उनके साथ फॉर्म पर काम करने वाले 3 लोग उनकी मदद करते हैं। ऑस्ट्रेलिया रहते बेटे को शौक, बिना बताए घोड़ी खरीद लाया निर्भय सिंह ने बताया कि उनका 2 बेटे दलजीत सिंह ऑस्ट्रेलिया और गुरप्रीत सिंह न्यूजीलैंड में रह रहे हैं। बेटे दलजीत सिंह के कारण उनको घोड़े रखने का शौक पड़ गया। उसने अपने लिए घोड़ा खरीदने की बात कही, मगर उन्होंने मना कर दिया था। करीब 4 साल पहले दलजीत ने एक घोड़ी खरीद ली, लेकिन घर में किसी को नहीं बताया। दलजीत ने घोड़ी खरीद उसे अपने एक दोस्त के पास रखा। करीब 3 महीने उनको पता चला कि दलजीत ने घोड़ी खरीद रखी है। फिर उन्होंने उसे घर पर रखने की इजाजत दे दी। घोड़ी की सवारी से शौक बढ़ा निर्भय सिंह बताते हैं कि उसके बाद उन्होंने उस घोड़ी की सवारी की। गांव से खेत तक वे घोड़ी पर ही जाने लगे। उसके बाद उनका शौक भी बढ़ गया। वे उस घोड़ी को घर में रखते थे। दलजीत के ऑस्ट्रेलिया जाने के बाद घोड़ी ने बछेड़ा (Foal) को जन्म दिया, जिसका नाम प्रेमरतन रखा है। प्रेमरतन सिर्फ 18 महीने का मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा है। प्रेमरतन का ख्याल भी प्रताप रूप की तरह रखा जाता है। प्रेमरतन नॉट फॉर सेल है। 60 लाख रुपए में खरीदा प्रताप रूप निर्भय सिंह ने बताया कि इस घोड़ी के बाद ही उन्होंने अपने लिए 60 लाख रुपए में प्रताप रूप को पंजाब से ही खरीदा था। वे प्रताप रूप पर बैठकर ही गांव में गेड़ियां मारते हैं। आज वे खेती छोड़कर घोड़ों का व्यापार भी कर रहे हैं। हालांकि इस शौक की वजह से उन्हें अपना पुश्तैनी मकान भी छोड़ना पड़ा। इस पुश्तैनी मकान में प्रताप रूप और दूसरे घोड़े प्रेमरतन को रखते हैं। 1 सेकेंड में 40 फीट दौड़ता है, देखभाल वाला मिले तो बेचेंगे ​​​संगरूर के तूर वंजारा गांव के सरपंच हरप्रीत सिंह ने बताया कि प्रताप रूप की ऊंचाई, रंग और नस्ल की शुद्धता की वजह से ही उसकी 1 करोड़ की कीमत लगी। मगर अभी उसे बेचने का कोई इरादा नहीं है। अगर सही खरीदार मिला, जो इसकी देखभाल कर सके, तभी विचार करेंगे। प्रताप रूप 1 सेकेंड में 40 फीट तक दौड़ लगाता है। पहले कॉम्पिटिशन उसमें ही विनर हरप्रीत सिंह ने बताया कि वे प्रताप रूप को पिहोवा के असमानपुर गांव में चल रहे PDFA पशु मेले में कॉम्पिटिशन के लिए लेकर पहुंचे थे। इसमें प्रताप रूप पहले स्थान पर रहा। ये प्रताप रूप का पहला कॉम्पिटिशन था। पिहोवा मेले में हो रहे कॉम्पिटिशन हरियाणा-पंजाब से आए 20 से ज्यादा घोड़े हिस्सा ले रहे थे।